ब्लैक पेपर बनाम व्हाइट पेपर, एक-दूसरे की बखिया उधेड़ने की होड़

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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) सामने है, इसलिए स्वाभाविक है कि पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे की बखिया उधेड़ेंगे।  एक-दूसरे को निकम्मा, स्वार्थी, भ्रष्ट और अन्यायी बताएंगे।  जनता के सामने अपने को दूध का धुला और प्रतिपक्षी को कोयले से भी काला करार देंगे। तय तो जनता को करना है कि कौन कितने पानी में है।  यह पहला अवसर है जब एक साथ एक ही दिन सरकार ने श्वेतपत्र ( White Paper) और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने ब्लैक पेपर जारी किया।

अपनी उपलब्धियों का लेखा-जोखा पेश करना तो ठीक है लेकिन बार-बार दूसरे के दोष गिनाना कितना सही है? लगता है, जनता की अदालत में दोनों पक्ष अपनी दलीलें पेश कर खुद को योग्य और दूसरे को अयोग्य साबित करना चाहते हैं।  बीजेपी नेतृत्व की मोदी सरकार कांग्रेसमुक्त भारत चाहती है तो कांग्रेस इसलिए परेशान है कि बीजेपी के बढ़ते विजयरथ को रोकने का कोई उपाय उसे नहीं सूझ रहा है।  सहिष्णुता नाम की कोई चीज आज की राजनीति में रह ही नहीं गई इसलिए वार और पलटवार निर्मम हो उठे हैं।  एक समय ऐसा भी था जब नेहरू को अपने तीव्र आलोचक डा. राममनोहर लोहिया के बगैर संसद अधूरी लगती थी।  नेहरू सुनिश्चित करते थे कि किसी उपचुनाव में जीत कर लोहिया जल्द ही लोकसभा में आ जाएं। 

1957 के दूसरे आम चुनाव में जब अटलबिहारी वाजपेयी जीत कर पहली बार लोकसभा में पहुंचे तो उनके भाषण की सराहना करते हुए नेहरू ने उदारतापूर्वक भविष्यवाणी की थी कि एक दिन यह युवक देश का प्रधानमंत्री भी बन सकता है।  आज की गलाकाट राजनीति में ऐसी उदारता चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी। 

कोई नई बात नहीं

कांग्रेस ने अपने ब्लैक पेपर में कोई नई बात न कहते हुए उन्हीं आरोपों को दोहराया है जो वह पहले से मोदी सरकार पर लगाती आ रही है।  उसने इसे ‘10 साल, अन्याय काल’ का नाम देते हुए उसमें महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं की स्थिति, किसानों की दुर्दशा जैसे कई मुद्दे उठाए।  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी ने कभी नहीं बताया कि नेहरू के जमाने में एचएएल, एचएमटी और भेल में कितने लोगों को बेहतरीन नौकरियां मिली।  गांव में इसलिए रोजगार कम हो रहे हैं क्योंकि सरकार मनरेगा का पैसा रिलीज नहीं कर रही है। 

विधायक खींचने का उलाहना

खडगे ने उलाहना देते हुए कहा कि बीजेपी ने 10 वर्षों के कार्यकाल में 411 विधायकों को अपनी तरफ खींच लिया।  सभी जानते हैं कि कांग्रेस की मध्यप्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड की सरकारें कैसे गिरीं।  गैर भाजपा शासित राज्यों जैसे केरल, कर्नाटक, तेलंगाना से भेदभाव हो रहा है।  अप्रत्यक्ष रूप से प्रेशराइज और हैरेसमेंट किया जा रहा है।  डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं।  कांग्रेस ने वादा किया कि वह 2024 में देश को बीजेपी के अन्याय के अंधकार से बाहर निकालेगी। 

तमाम घोटालों का जिक्र

सरकार ने लोकसभा में व्हाइट पेपर जारी कर पलटवार किया जिसमें बताया गया कि यूपीए सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल में देश को कितना आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।  186 लाख करोड़ का कोयला घोटाला, 1। 76 लाख करोड़ का 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला व कामनवेल्थ गेम्स घोटाला किया गया।  यूपीए सरकार के समय भारी कर्ज लिया गया।  विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई, बैंकिंग सेक्टर संकट में आया तथा राजस्व का गलत इस्तेमाल हुआ।  अर्थव्यवस्था को लूटा गया।  नीतिगत जड़ता आ गई थी। 

इस तरह ब्लैक पेपर और व्हाइट पेपर के नाम पर कांग्रेस और बीजेपी सरकार दोनों ने ही अपने कार्ड चल दिए हैं।  तय जनता को करना है कि वह चुनाव में किसे पसंद करती है।