9 माह लग गए नए CDS के चुनाव में

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    देश के प्रथम सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत का हेलीकाप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद से नए सीडीएस के चुनाव में 9 माह से ज्यादा समय लग गया. अब सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) को नया सीडीएस नियुक्त किया है. रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चौहान भारत सरकार के सैनिक मामलों के सचिव के रूप में भी काम करते रहेंगे. चीन और पाकिस्तान का खतरा कायम रहते हुए भी इतने लंबे समय तक सीडीएस की नियुक्ति क्यों टाली गई, इसकी कोई वजह सामने नहीं आई है. 

    सीडीएस कमांड थियेटर को संचालित करता है और आर्मी, नौसेना व वायुसेना के बीच समन्वयकर्ता की जिम्मेदारी निभाता है. वह तीनों इकाइयों को जोड़नेवाली महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है. जब जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद महीनों तक कोई नियुक्ति नहंी हुई तो ऐसा आभास होने लगा था कि सरकार शायद इस पद को लेकर गंभीर नहीं है. यह भी संभव है कि विभिन्न नामों का आकलन करने में समय लगा हो और सरकार सबसे उपयुक्त व अनुभवी अधिकारी का इस पद के लिए चयन करना चाहती होगी.

    रिटायर्ड अधिकारी की वापसी

    यह देश के सैन्य इतिहास में पहली बार है कि सेना किसी रिटायर्ड हो चुके अफसर को समय के अंतराल या गैप के बाद फिर से वापस बुलाकर सबसे ऊंचा पद दिया गया. अनिल चौहान मई 2021 में लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए थे. जनरल बिपिन रावत की बात अलग थी. उन्होंने सेनाध्यक्ष पद से रिटायरमेंट के दूसरे दिन ही सीडीएस पद का चार्ज संभाल लिया था. अपने रिटायरमेंट के बाद अनिल चौहान ने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सचिवालय में सैनिक सलाहकार का पद स्वीकार कर लिया था. तब उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल वीजी खंडारे का स्थान लिया था जो कि अक्टूबर 2021 में रिटायर हो गए थे.

    आतंकवाद से निपटने का व्यापक अनुभव

    18 मई 1961 में उत्तराखंड के पौड़ी में जन्मे चौहान ने नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला और इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में ट्रेनिंग पूरी की और 1981 में 11 गोरखा राइफल्स में शामिल हो गये. उनके पूर्ववर्ती सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी 11 गोरखा राइफल्स में रहे थे. चौहान को सेना में अनेक कमांड व पद संभालने का 40 वर्षों का व्यापक अनुभव है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में उनके मार्गदर्शन व नेतृत्व में अनेक आतंकवादी विरोधी अभियान चलाए गए. 

    2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के भीतर घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के कैम्प पर वायुसेना की बालाकोट स्ट्राइक के दौरान चौहान डीजीएमओ (डायरेक्टर आफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) थे. उत्तरी कमांड में मेजर जनरल रहते हुए अनिल चौहान ने संवेदनशील बारामूला सेक्टर में इन्फैंट्री डिवीजन का नेतृत्व किया था. 

    बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में पूर्वोत्तर में कोर कमांड रहने के बाद सितंबर 2019 से पूर्व कमान के जनरल आफीसर कमांडिंग इन चीफ बन गए और इसी पद से मई 2021 में रिटायर हुए थे. उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल तथा अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया. सरकार ने जून में नियमों में संशोधन कर 62 वर्ष से कम आयु के किसी भी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल या वाइस एडमिरल को सीडीएस बनाने का प्रावधान किया था. इससे थ्री स्टार जनरलों को भी सीडीएस बनने का मौका मिल सकता है.