राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना घोषित, सब बेच कर चलाएंगे देश

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    विनिवेश का विचार तो अटल बिहारी सरकार के समय भी आया था. तब इसके लिए अरुण शौरी को विनिवेश मंत्री बनाया गया था. तब सरकारी स्वामित्व की सेंटूर होटल निजी हाथों में बेचे जाने की पेशकश पर काफी हंगामा हुआ था. अब तो मोदी सरकार खुलेआम एयरपोर्ट, हाईवे, रेलवे स्टेशन आदि कुल 13 तरह की सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर या लीज पर देकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने जा रही है. 

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनएमपी (नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन) लांच की, जिसके तहत सड़कों व रेलवे से सबसे ज्यादा 3 लाख करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी है. लीज पर देने की प्रक्रिया 4 वर्ष अर्थात 2025 तक चरणबद्ध तरीके से चलेगी. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन सड़कों, रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट को लीज पर दिया जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा. यह लीज एक निश्चित समय सीमा के लिए रहेगी. उसके बाद पूरा आधारभूत ढांचा सरकार के पास वापस आ जाएगा.

    क्या-क्या दिया जाएगा निजी हाथों में

    लगता तो यही है कि सरकार अपनी अधिकांश संपत्ति निजी क्षेत्र के हवाले कर धन जुटाने जा रही है. इसमें हाईवे, रेलवे, पावर ट्रांसमिशन, पावर जनरेशन, टेलीकॉम, वेयर हाउसिंग, नेचुरल गैस पाइपलाइन, प्रोडक्ट पाइपलाइन, खनन, एविएशन, बंदरगाह, स्टेडियम तथा शहरी रियल एस्टेट का समावेश है. सरकार को हाईवे से सबसे ज्यादा पैसा मिलने की उम्मीद है. उत्तर भारत की 29 सड़कें, दक्षिण की 28, पूर्व की 22 और पश्चिम की 25 सड़कें लीज पर दी जाएंगी. 

    सड़कें निजी क्षेत्र में जाने पर उसका संचालन व टोल वसूली निजी क्षेत्र ही करेगा. इसी तरह 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किलोमीटर का ट्रैक लीज पर दिए जाएंगे. पहाड़ी इलाकों में रेल संचालन निजी हाथों में चला जाएगा. कालका-शिमला, दार्जिलिंग, माथेरान ट्रैक इसमें शामिल हैं. रेलवे के 265 गुड्स शेड, चुनिंदा रेलवे कॉलोनी, रेलवे के 15 स्टेडियम का संचालन भी लीज पर दिया जाएगा.

    टेलीकॉम और बड़े होटल भी

    सरकार भारतनेट फाइबर की 2.86 लाख किमी लाइन तथा बीएसएनएल व एमटीएनएल के टॉवर भी लीज पर देगी जिसका मालिकाना हक नहीं मिलेगा. देश भर के 8 बड़े सरकारी होटल लीज पर दिए जाएंगे या उनकी हिस्सेदारी बेची जाएगी. निजी हाथों में जाने के बाद वहां लीजधारक चाहे जितना मुनाफा कमा सकेंगे. इस तरह जनता के लिए महंगाई और बढ़ेगी. लीज पर देने के बाद सरकार अपना पल्ला झाड़ लेगी और जनता भुगतेगी. बिजली कंपनियां निजी हाथों में चली जाएंगी जो अपना टैरिफ बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होंगी.

    सरकार की दलील

    योजना की शुरुआत करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत भूमि का मुद्रीकरण नहीं किया जा रहा है. केवल ब्राउन फील्ड संपत्ति का विमुद्रीकरण किया जाएगा, एसेट सरकार के पास ही रहेंगी. इस योजना के तहत रोड, रेल संपत्तियां, एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन लाइन और गैस पाइपलाइन बेचे बगैर लीज के माध्यम से निजी क्षेत्र का निवेश लाया जाएगा. इससे जो भी पैसा मिलेगा उसका इस्तेमाल देश में आधारभूत संरचना को बढ़ाने में किया जाएगा.

    कांग्रेस का तीखा आरोप

    कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी आकाश, पाताल, जमीन सब बेच डालेंगे. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 60 लाख करोड़ की देश की संपत्ति की सेल- सड़क, रेल, खदान, दूरसंचार, बिजली, गैस, हवाई अड्डे, बंदरगाह, खेल स्टेडियम! वाह मोदीजी! आसमान, जमीन और पाताल सब बेच डालेंगे. बीजेपी है तो देश की संपत्ति नहीं बचेगी.

    आम धारणा क्या है?

    एक बार जो चीज लीज पर दी जाए या बेची जाए, वह फिर हाथ में वापस नहीं आती. लीज की अवधि बढ़ती चली जाती है. इतने दशकों में जो सरकारी संपत्ति व संसाधन बड़ी मेहनत से बनाए गए, उन्हें बेहिचक निजी हाथों के हवाले करने का फैसला कितना सही है? निजी क्षेत्र इनसे मुनाफा कमाएंगे, नुकसान तो जनता का होगा. वस्तु व सेवाओं के और अधिक दाम चुकाने होंगे.