राज्यों की सहमति की कोई परवाह नहीं, केंद्र ने जताया नौकरशाही पर हक

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    नौकरशाही पर नियंत्रण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार राज्यों पर दबाव बनाने की तैयारी में है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को केंद्र अपने प्रति उत्तरदायी व निष्ठावान रखना चाहता है इसलिए उन पर शिकंजा कसने जा रहा है. इस मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच खींचतान बढ़ेगी. केंद्र की दलील है कि उसके पास आईएएस अधिकारियों की कमी है, जिसे दूर करने के लिए वह आईएएस कैडर नियमावली 1954 में संशोधन करेगा. इस उद्देश्य से संसद के बजट सत्र में विधेयक लाया जाएगा. 

    इसके तहत केंद्र सरकार राज्यों में तैनात आईएएस अधिकारियों को राज्यों की सहमति के बगैर डेपुटेशन पर बुला सकेगी. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि केंद्र जिस भी अधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर अपने पास बुलाना चाहेगा, वह अपने संबंधित कैडर से रिलीव हो जाएगा. भले ही राज्य सरकार इससे सहमत हो या न हो अथवा निर्धारित समयावधि में अपनी सहमति न दे. ऐसा होने पर राज्यों का इनकार करने या वीटो का अधिकार छिन जाएगा. राज्यों को इस पत्र के जवाब में अपनी राय 25 जनवरी से पहले भेजनी है.

    विपक्ष शासित राज्यों की आशंका

    विपक्ष शासित राज्यों को आशंका है कि केंद्र सरकार राज्यों में तैनात काबिल आईएएस अधिकारियों को मनमाने ढंग से और राजनीतिक उद्देश्यों के तहत हटाएगी या नियुक्त करेगी. प्रशासन तंत्र चलाने में इन अधिकारियों की अहम भूमिका रहती है. किसी राज्य से कुशल अधिकारियों को हटा लेने पर वहां की व्यवस्था चरमरा जाएगी. अधिकारियों को भी यह जता दिया जाएगा कि वे अ.भा. सेवा के होने की वजह से मूलरूप से केंद्र के प्रति उत्तरदायी हैं तथा उन पर केंद्र का ही पहला हक है.

    ममता ने चुनौती दी

    बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को 2 पृष्ठों का पत्र लिखकर इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया है. ममता ने कहा है कि प्रस्तावित संशोधन संघवाद की भावना के खिलाफ है. केंद्र का दृष्टिकोण सही नहीं है. इससे राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था बिगड़ सकती है तथा आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच वर्तमान सौहार्द्रपूर्ण समझौता प्रभावित होगा.

    केंद्रीय एजेंसियों की दखलंदाजी

    हाल के वर्षों में केंद्र और राज्यों के बीच टकराव बढ़ा है. विपक्ष शासित राज्यों में सीबीआई, ईडी, एनआईए के हस्तक्षेप से विवाद बढ़े हैं. यदि राज्य में सेवारत कोई आईएएस या आईपीएस अधिकारी वहां की सरकार का साथ देता दिखाई देता है तो उसे वापस केंद्र में आने के लिए आदेश दिया जा सकता है. केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष शासित राज्यों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विशिष्ट स्थितियों में जहां जनहित में केंद्र को अधिकारियों की सेवाओं की जरूरत होती है, केंद्र के अधीन पोस्टिंग के तहत इन अधिकारियों की सेवाएं ली जा सकती हैं. संबंधित राज्य सरकारों को निश्चित समयसीमा के भीतर केंद्र के निर्णय को लागू करना होगा.