दिल्ली की सरकार को उपराज्यपाल (एलजी) की अवहेलना हमेशा महंगी पड़ती है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एलजी की मंजूरी लिए बिना आबकारी नीति (एक्साइज पॉलिसी) में तथाकथित फेरबदल करते हुए निविदाकृत लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपए माफ कर दिए. सिसोदिया ने यह फैसला कोरोना महामारी के लिहाज से किया था, लेकिन केंद्र ने माना कि यह कदम शराब व्यापारियों के समूह (कार्टल) को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया. दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा.
7 राज्यों में डेढ़ दर्जन जगह पर रेड डाली गई. एफआईआर में 15 आरोपियों के नाम हैं. सीबीआई के बाद अब ईडी भी सिसोदिया के खिलाफ एक्शन लेगी. मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दाहिना हाथ हैं. केजरीवाल ने कहा कि यह पूरा केस झूठा है. बीजेपी दिल्ली सरकार को अस्थिर करना चाहती है. मंत्री सत्येंद्र जैन के बाद सिसोदिया को जेल भेजने की साजिश रच रही हैं लेकिन हम नहीं डरेंगे. मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने कहा कि रोज सुबह उठकर ईडी-सीबीआई का खेल शुरू कर देते हैं. मनीष सिसोदिया ने कहा कि आपकी सारी रेड फेल हो गई, कुछ नहीं मिला, एक पैसे की हेराफेरी नहीं मिली. अब आपने लुकआउट नोटिस जारी किया कि सिसोदिया मिल नहीं रहा! मैं खुले आम दिल्ली में घूम रहा हूं, बताइए कहां आना है?
विवादास्पद नई आबकारी नीति
गत वर्ष नवंबर में भ्रष्टाचार से निपटने के नाम पर लाई गई-नई आबकारी नीति विवादास्पद थी. इसे लेकर नियमों का उल्लंघन करने, रिश्वतखोरी और कार्टेल बनाने के आरोप लगे. उपराज्यपाल विनयकुमार सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. केजरीवाल सरकार ने 9 माह बाद इस नीति को जुलाई में वापस ले लिया फिर भी सीबीआई ने सिसोदिया के आवास पर छापा मारा. इससे सवाल उठता है कि क्या इसमें राजनीति है कि बीजेपी के विरोधियों को केंद्रीय एजेंसियां लगातार निशाना बना रही हैं. सिसोदिया ने कहा कि छापे का शराब नीति से संबंध नहीं है. यह केवल ‘आप’ और केजरीवाल को रोकने की चाल है. केजरीवाल के मंत्री होने की वजह से उनके घर में दबिश दी गई है.
गैरबीजेपी नेताओं पर मामले
केंद्रीय जांच एजेंसियां गैरबीजेपी नेताओं के खिलाफ सक्रिय हैं. बंगाल में छापे के बाद टीएमसी मंत्री पार्थ चटर्जी भ्रष्टाचार के आरोप में हिरासत में हैं. महाराष्ट्र में एनसीपी नेता ईडी के निशाने पर रहे हैं. अनिल देशमुख और नवाब मलिक जेल में हैं. नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी व राहुल से पूछताछ हो चुकी है. आघाड़ी सरकार के समय महाराष्ट्र में सीबीआई के एंट्री पर बंदी लगा दी गई थी और केवल ईडी ही यहां छापे मार रही थी. अब शिंदे-फडणवीस सरकार पुन: सीबीआई को महाराष्ट्र में आने की स्वीकृति देने जा रही है. यद्यपि कितने ही मामले भ्रष्टाचार के हो सकते हैं लेकिन विपक्षी नेताओं को दबाने या प्रतिशोध के लिए भी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है. इनकी जांच कभी तेज हो जाती है तो कभी ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था.