अमेरिका के नसीब में फिर बूढ़ा राष्ट्रपति

Loading

अमेरिका में अगले वर्ष नवंबर में होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए यद्यपि अधिकृत रूप से डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के उम्मीदवार तय नहीं हुए हैं लेकिन माना जा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन का मुकाबला फिर से डोनाल्ड ट्रम्प से होगा. ब्राइडेन इसी वर्ष 20 नवंबर को 81 वर्ष के हो जाएंगे और ट्रम्प भी लगभग 77 वर्ष के हैं. 2020 के बाद 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भी दोनों के आमने-सामने रहने की संभावना है. दोनों ही पार्टियां इस पद के लिए अब तक कोई वैकल्पिक उम्मीदवार खोज नहीं पाई हैं.

ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगे. ऐसा हुआ तो अमेरिका को बूढ़ा राष्ट्रपति ही नसीब होगा. अमेरिका के युवा राष्ट्रपतियों में जॉन एफ केनेडी और बिल क्लिंटन के नाम उल्लेखनीय रहे हैं. ट्रम्प की संकुचित और राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण रिपब्लिकन पार्टी को उनका विकल्प नहीं मिल पाया है. वैसे भारतीय मूल के रामास्वामी राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं लेकिन उनका यह भी कहना है कि यदि ट्रम्प को उम्मीदवारी मिलती है तो वे उनके ‘रनिंग मेट’ बनकर उपराष्ट्रपति बनना स्वीकार कर लेंगे.

आश्चर्य इस बात का है कि पार्टी में भी लोकतांत्रिक मूल्यों का जतन करनेवाले बाइडेन का कोई विकल्प उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी को क्यों नहीं मिल पा रहा है. रिपब्लिकन पार्टी ट्रम्प जैसे एक नेता के भरोसे है लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी में तो अनेक नेता आर राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं. बीच में यह भी संभावना बताई गई थी कि निक्की हेली और मिशेल ओबामा भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए प्रयत्नशील हो सकती हैं.

दोनों नेताओं के खिलाफ जांच

ट्रम्प के खिलाफ अपने समर्थकों की हिंसक भीड़ को उकसाने और कैपिटॉल बिल्डिंग पर हमला कराने के आरोप हैं. राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद अपने साथ गोपनीय दस्तावेज ले जाने का भी उनपर आरोप है. आरोपो में जेल जाने से बचने के लिए ट्रम्प एक बार फिर राष्ट्रपति पद का कवच पहनना चाहते हैं. बाइडेन पर जो आरोप हैं, वह इसकी तुलना में मामूली हैं. बाइडेन के पुत्र हंटर पर ड्रग रखने और कुछ आर्थिक गड़बड़ी करने के आरोप हैं जिनकी जांच चल रही है. अमेरिकी प्रतिनिधि सदन (हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव) के सभापति के विन मैकार्थी ने बाइडेन पर महाभियोग चलाने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि बाइडेन को अपने बेटे की गैरकानूनी गतिविधियों की जानकारी थी. कहा जाता है कि मैकार्थी ने यह निर्णय स्वेच्छा से नहीं लिया है बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के प्रभावशाली सदस्यों के दबाव में आकर उन्होंने ऐसा किया.

महाभियोग टिक नहीं पाएगा

रिपब्लिकन पार्टी ने बाइडेन के खिलाफ पहले भी भ्रष्टाचार और अधिकारों के दुरुपयोग के आरोप में जांच शुरू की थी लेकिन अभी तक कोई भी आपत्तिजनक तथ्य सामने नहीं आया. इसलिए मैकार्थी द्वारा चलाए गए महाभियोग से भी कुछ होने की संभावना नहीं है. महाभियोग की जांच के लिए प्रतिनिधि सदन की सामान्य बहुमत से मंजूरी लेनी पड़ती है फिर यह प्रस्ताव सीनेट में जाता है वहां दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करना पड़ता है. सीनेट में डेमोक्रेट का बहुमत होने से बाइडेन विरोधी महाभियोग प्रस्ताव पारित होने की जरा भी संभावना नहीं है. यह बात रिपब्लिकन पार्टी भी जानती है. परस्पर जांच के इस खेल से अमेरिकी राजनीति की गिरावट सामने आ रही है.