मंदिर से भी बढ़ता है रोजगार

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गुजरात और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक राज्यों के पास समुद्र तट है जहां से आसानी से निर्यात संभव है. यह सुविधा उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के साथ संभव नहीं है. कुछ लोग यह सवाल उठाते हैं कि क्या रोजगार पैदा करने को प्राथमिकता न देते हुए अयोध्या में मंदिर (Temple) निर्माण ज्यादा जरूरी था? उन्हें समझना चाहिए कि मंदिरों और धर्मस्थानों के भव्य निर्माण और कायाकल्प से भी लोगों को बड़ी तादाद में रोजगार (Employment) के अवसर मिल सकते हैं.

काशी विश्वनाथ तथा उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के परिसर का जिस तरह विकास किया गया उससे यह तीर्थ क्षेत्र अत्यंत दर्शनीय बन गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने यही बात कही है कि मंदिर विकास और विरासत दोनों को लेकर चलता है. इसका अर्थ है कि वहां राजस्व प्राप्त होने के अलावा रोजगार का सृजन भी होता है.

अयोध्या के राम मंदिर के साथ ही शहर के विकास पर 8500 करोड़ रुपए खर्च होंगे मास्टर प्लान के तहत अयोध्या की 1200 एकड़ जमीन में नई बस्ती बनाई जाएगी जहां प्रतिदिन देश-विदेश से 3,00,000 श्रद्धालु तीर्थयात्री या पर्यटक आने की उम्मीद है. महर्षि वाल्मिकी अंतरराष्ट्रीय एयर पोर्ट के वजह से अयोध्या आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहर सल के रूप में वैश्विक हब बन जाएग.

न केवल अनिवासी भारतीय बल्कि सभी राष्ट्रीयता के लोग जिनमें विदेशी शामिल हैं अयोध्या आएंगे. वहां दर्शन के अलावा योग और ध्यान केंद्र भी होंगे जहां ये लोग आत्मिक शांति अनुभव करेंगे. इस भारी निवेश और पर्यटन में वृद्धि की वजह से होटलों, रेस्तरां, परिवहन क्षेत्र में अनेक नौकरी, रोजगार उपलब्ध होंगे. इसके अलावा व्यापारियों का व्यापार चमकेगा. गाइड को भी काम मिलेगा. तीर्थस्थान को भव्यता मिलते ही वहां का आकर्षण बढ़ जाता है. लोग तिरूपति बालाजी और शिरडी के समान ही अयोध्या की ओर आकर्षित होंगे क्योंकि वहा वर्ल्ड क्लास सुविधाएं होंग. रामजन्म भूमि विवाद को भूलकर लोग अयोध्या को राष्ट्रीय एकता का स्थल मानेंगे. विकास के साथ वहां धर्म के साथ धन की भी प्रचुरता बढ़ेगी.