आरोग्य सेतु एप में विचित्र गोलमाल

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कोरोना वायरस (Coronavirus) की कान्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए केंद्र सरकार की ओर से आरोग्य सेतु एप (Aarogya Setu app) को बढ़ावा दिया गया. इसे करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं परंतु इसे लेकर कुछ बातें स्पष्ट नहीं हैं. सामाजिक कार्यकर्ता सौरव दास (Saurav Das) ने सूचना आयोग के पास शिकायत की थी कि एप के डेवलपमेंट को लेकर कई मंत्रालय स्पष्ट सूचना देने में विफल रहे हैं. दास ने राइट टु इनफर्मेशन के तहत एप के शुरुआती प्रस्ताव, इसको मिली मंजूरी का विवरण, इस काम में शामिल कंपनियों, व्यक्ति व सरकारी विभागों को लेकर जानकारी मांगी थी.

साथ ही उन्होंने एप डेवलपमेंट से जुड़े लोगों के बीच सूचना के आदान-प्रदान की प्रतियां भी मांगी थीं. इसे लेकर केंद्रीय सूचना आयोग ने नेशनल इंफार्मेटिक सेंटर (एनआईसी) (National Informatics Centre)(NIC)से जवाब मांगा है कि जब आरोग्य सेतु एप के वेबसाइट पर उनका नाम है तो फिर उनके पास एप के डेवलपमेंट को लेकर कोई डिटेल क्यों नहीं है? आयोग ने इस संबंध में कई चीफ पब्लिक इन्फार्मेशन अधिकारियों सहित नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और एनआईसी को कारण बताओ नोटिस भेजा है. आरोग्य सेतु एप की वेबसाइट कहती है कि इसे नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर और आईटी मंत्रालय ने डेवलप किया है लेकिन इस एप को लेकर डाली गई आरटीआई शिकायत के जवाब में दोनों ने कहा कि उनके पास इसकी जानकारी नहीं है कि इस एप को किसने डेवलप किया है.

सूचना आयोग ने सभी संबंधित इकाइयों को शोकॉज नोटिस देकर पूछा है कि आखिर सूचना देने में रुकावट पैदा करने और आरटीआई आवेदन पर गोलमोल जवाब देने के आरोप में उन पर एक्शन क्यों न लिया जाए तथा मांगी गई सूचना नहीं देने की वजह से आरटीआई एक्ट के तहत जुर्माना क्यों न लगाया जाए? आयोग ने कहा कि अधिकारियों द्वारा सूचना देने से इनकार करने को स्वीकार नहीं किया जाएगा. नोटिस के बाद सरकार ने सफाई दी कि आरोग्य सेतु एप पूरी तरह पारदर्शी तरीके से बनाया गया है. इसे निजी व सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत विकसित किया गया है. इसे बनाने वाले को लेकर कोई भ्रम नहीं है. आरोग्य सेतु एप को एनआईसी ने उद्योग और विशेषज्ञ वालंटियर्स के सहयोग से विकसित किया है.