कैसी है केंद्र सरकार की नीति राशन आपके द्वार योजना को दिल्ली में ना, मप्र. में हां

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    क्या यह केंद्र सरकार का दोहरा मानदंड नहीं है कि जब दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने राशन आपके द्वार योजना शुरु करनी चाही तो उसे केंद्र ने मंजूरी नहीं दी. एलजी अनिल बैजल ने इसके लिए मना कर दिया. इसके विपरीत बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में ‘मुख्यमंत्री राशन आपके द्वार’ योजना को स्वीकृति दे दी गई इसके अंतर्गत 16 जिलों के 74 विकास खंड के 7511 गांव आएंगे.

    मध्यप्रदेश के आदिवासी विकास खंडों में नवंबर 2021 से यह योजना लागू हो जाएगी. इस योजना के पीछे कारण यह बताया गया है कि राशन दूकानें अभी ग्राम पंचायत स्तर पर हैं. इसलिए ग्रामीणों को हर महीने 5 किलोमीटर की दूरी 23 से 37 किलो राशन सामग्री सिर पर रखकर तय करनी पड़ती है. वृद्ध कमजोर या दिव्यांग व्यक्ति को इसमें दिक्कत जाती है. राशन लाने में समय लगने से गरीब परिवारों को मजदूरी में नुकसान उठाना पड़ता है.

    इस योजना में खाद्यान्न लोड करते समय उसकी गुणवत्ता का परिक्षण किया जाएगा. सामग्री तौलने के लिए इलेक्ट्रानिक वजन मशीन, माइक, स्पीकर, जीओएम मशीन व खाद्यान सुरक्षित रखने की व्यवस्था होगी. यही सुविधाजनक योजना दिल्ली के गरीब राशन कार्ड धारों के लिए केजरीवाल शुरु करना चाहते थे. इससे राशन दूकान के सामने लंबी कतार नहीं लगतीं और घर पहुंच सही क्वालिटी और वजन का राशन मिल जाता. न जाने क्यों दिल्ली में इसके लिए ‘ना’ कर दिया गया ऐसा भेदभाव क्यों होना चाहिए?

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