समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को रामपुर के एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट के उस हेटसपीच मामले में बरी कर दिया है जिसमें उन्हें 3 वर्ष की सजा सुनाई गई थी और जिसकी वजह से उन्हें गत वर्ष अक्टूबर में विधानसभा सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. आजम खान पर आरोप था कि उन्होंने पीएम मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रामपुर के डीएम आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ अपमानजनक भड़काऊ टिप्पणियां की थी. आजम ने निचली अदालत से मिली सजा के खिलाफ एमपी एमएलए सेशन कोर्ट में अपील की थी. आजम खान के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष फेम साबित नहीं कर पाया. हमें झूठा फंसाया गया था. इसके बावजूद एक अनय मामले की वजह से विधायक पद पर उनकी बहाली हो जाना मुश्किल है. यह दूसरा मामला 15 वर्ष पुराना है जब पुलिस ने आजम खान की गाड़ी को चेकिंग के लिये मुरादाबाद में रोका था और तब आजम खान और उनके पुत्र ने ट्रैफिक रुकवा दिया था. इस मामले में उन्हें 2 वर्ष की सजा सुनाई गई थी. रामपुर सीट पर दिसंबर में हुये उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को हराया था. इस वर्ष फरवरी में सुआर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा की अनुराधा चौहान को बीजेपी समर्थित अपना दल (सोनेलाल) के उम्मीदवार शफीक अंसारी ने हराया था तथा आजम के बेटे अब्दुल्ला की जमानत जब्त हो गई थी. आजम की विधानसभा से अयोग्यता सुप्रीम कोर्ट की 10 जुलाई 2013 को दी गई रुलिंग के अनुरूप है जिसमें कहा गया था कि किसी सांसद या विधायक को 2 वर्ष या अधिक की सजा सुनाए जाने पर वह अपने आप आयोग्य हो जाता है. यह रुलिंग लिलि थामस और लोकप्रहरी के एमएन शुक्ला द्वारा दायर किए याचिकाकर्ता की वजह से आई. 2017 में जबसे बीजेपी यूपी की सत्ता में आई है, आजम खान पर भ्रष्टाचार, चोरी और जमीनें हड़पने के 100 से अधिक मामले दर्ज है. जिस दूसरे मामले में आजम खान को 2 वर्ष सजा मिली है, उसकी वजह से उनकी विधायक पद पर बहाली में दिक्कतें कायम है. इस असामान्य स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ही कोई समाधान निकाल सकता है.