जिनकी आंखों पर पट्टी बंधी है, उन्हें सूरज की रोशनी कैसे दिखाई देगी? डीएमके सांसद ए. राजा (DMK MP A.Raja) का यह कथन शर्मनाक और शरारतपूर्ण है कि वह भारत (India) को देश नहीं मानते। उनका कुतर्क है कि भारत कभी देश था ही नहीं। एक देश का मतलब होता है- एक भाषा, एक संस्कृति और एक परंपरा। यहां कई परंपरा और संस्कृतियां हैं।
तमिलनाडु, केरल, ओडिशा की अलग-अलग भाषाएं हैं। इसलिए भारत एक देश नहीं बल्कि उपमहाद्वीप है। तमिलनाडु में एक भाषा, एक संस्कृति है। यह एक देश है ओडिशा भी एक देश है। डीएमके सांसद जानबूझकर अलगाववाद की विष बेल बो रहे हैं तभी तो राज्यों को देश बताकर भारत देश के अस्तित्व को नकार रहे हैं। सभी जानते हैं कि दुष्यंत और शकुंतला के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत रखा गया।
धार्मिक अनुष्ठानों में भी प्राचीन समय से जम्बूद्वीपे, भरतखंडे, आर्यावर्ते कहते हुए संकल्प कराया जाता है। केरल में जन्में आदि शंकराचार्य ने द्वारका, बदरीनाथ, जगन्नाथपुरी और श्रंगेरी में 4 धामों की स्थापना कराई थी। भगवान राम की अयोध्या से रामेश्वरम की यात्रा, पांडवों का राजसूथ यज्ञ सभी भारत रूपी एक देश को चिन्हांकित करते हैं। कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। वे गुजरात आकर द्वारकाधीश बने और विदर्भ कन्या रुक्मिणी से उन्होंने विवाह किया। जब भी कुंभ मेला होता है, देश के हर राज्य से लोग लाखों की तादाद में वहां पहुंचते हैं। यह है हमारा अलौकिक भारत! हिंदी का कोई कितना भी विरोध करे, वह समूचे भारत की सामर्थ्यवान संपर्क भाषा है।
प्राचीन भारत में संस्कृत देश में हर कहीं प्रचलित थी। अंग्रेजों ने गांव-गांव में चलनेवाली संस्कृत पाठशालाएं खत्म करवाईं ताकि अंग्रेजी भाषा लादने का मेकाले की साजिश पूरी हो सके। आसेतु हिमालय की भावना प्राचीन काल से रही है। भारत राष्ट्र की भावना से ही स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी जाकर साधना की थी। यदि ए। राजा की राय में तमिलनाडु अलग देश है तो महाकवि कम्बन ने तमिल में रामायण क्यों लिखी? दक्षिण में शिवपुत्र कार्तिकेय क्यों पूजे जाते हैं? भारत की मजबूत सांस्कृतिक एकता लाखों वर्षों से चली आ रही है।
भारत में भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, पहनावे की विविधता के बावजूद बुनियादी एकता पहले से थी, आज भी है और भविष्य में भी रहेगी। अनेकता में एकता की अनूठी मिसाल वाला हमारा देश अपने लचीलेपन के लिए जाना जाता रहा। विदेशी भी आकर यहां की संस्कृति में रच बस गए। मुगल होने पर भी रसखान कृष्ण भक्त हो गए। भक्त कवयित्री अंदाल को दक्षिण की मीराबाई कहा जाता है। सुब्रमण्यम भारती का योगदान अविस्मरणीय है।