क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में भारतीय टीम विश्व में नंबर वन

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विगत कुछ वर्षों से प्रतीत होने लगा था कि दुनिया में टेस्ट क्रिकेट अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है और सिर्फ वनडे इंटरनेशनल व टी-20 टूर्नामेंट ही अस्तित्व में रह जाएंगे। लोगों की दलील थी कि फटाफट क्रिकेट के युग में किसके पास फुरसत है कि 5 दिन लंबा टेस्ट मैच देखे लेकिन अचानक ऐसा दौर आया कि टेस्ट क्रिकेट में नए सिरे से जान आ गई। इसका श्रेय जुझारू और जोशीले खिलाड़ियों को हैं। पुराने दौर की बात करें तो टेस्ट में इतने चौके-छक्के नहीं लगा करते थे। बल्लेबाज अपने खास स्ट्रोक के लिए जाने जाते थे। रनों की रफ्तार भी कम रहा करती थी। अब ऐसा कुछ भी नहीं है। अब टेस्ट मैच अनिर्णीत समाप्त नहीं होता।

हमारे खिलाड़ी जीतने के लिये खेलते हैं। यह अत्यंत गौरवपूर्ण है कि आईसीसी की नवीनतम टेस्ट रैकिंग में भारत ने इंग्लैड के खिलाफ 4-1 से सीरीज जीत कर विश्व की नंबर वन टेस्ट टीम का दर्जा दाखिल किया। अब क्रिकेट के तीनों प्रारूप में भारत शीर्ष पर है। यद्यपि भारत हैदराबाद के पहले टेस्ट में 28 रन से हार गया था लेकिन इसके बाद के चारों टेस्ट मैचों में अपने बैजबॉल (आक्रामक शैली) के क्रिकेट पर गुमान करनेवाली इंग्लैण्ड की टीम को भारत ने पछाड़ा। रोहित शर्मा की टीम में कितने ही सीनियर खिलाड़ी नहीं थे लेकिन यंग ब्रिगेड ने कमाल दिखाया।

यशस्वी जैस्वाल ने विजय में 2 और राजकोट में डबल सेंचुरी जमाकर इंग्लैण्ड के जेम्स एंडरसन जैसे खतरनाक गेंदबाज को भी हतप्रभ कर दिया। यद्यपि जैस्वाल ने वैस्टइंडीज के खिलाफ भी शतक बनाया था लेकिन इंग्लैण्ड की टीम को उसने अपनी धुआंधार बल्लेबाजी से धूल चटा दी। पूरी सीरीज में जैस्वाल ने 712 रन बनाए। इसी तरह शुभमन गिल और सरफराज खान जैसे युवा खिलाड़ियों ने भी अपनी जबरदस्त छाप छोड़ी। इस सीरीज में ध्रुव जुरेल जैसे शानदार विकेट कीपर बल्लेबाज ने प्रभावित किया।

उसका कौशल देखकर ऐसा लगा मानो भारत को नया धोनी मिल गया। भारतीय टीम में अनुभवी और युवा खिलाड़ियों का बढि़या तालमेल बना हुआ है। 37 वर्षीय रविचंद्रन अश्विन ने अब तक 100 टेस्ट मैचों में 516 विकेट लिए हैं। बुमराह ने विजग टेस्ट मैच में 6 विकेट लिए और अपनी रिवर्स स्विंग यार्कर गेंद से ओलीपोप को जिस तरह आऊट किया, उसे दर्शक भूलेंगे नहीं। कुलदीप यादव की स्पिन गेंदबाजी भी भेदक रही।