विपक्ष चारों खाने चित सभी चुनावों में लगातार BJP को पछाड़ रहीं ममता

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    बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का वर्चस्व बना हुआ है. कोई भी पार्टी इसके मुकाबले टिक नहीं पाती. इसकी वजह ममता की लोकप्रियता और साथ ही दबदबा भी है. बंगाल को लेफ्ट पार्टियों के 3 दशक के शासन से उन्होंने ही मुक्त कराया था. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी को हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था. 8 चरणों में चुनाव के दौरान बार-बार प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैलियां कीं लेकिन टीएमसी को नहीं हरा पाए. यह क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय पार्टी कहलानेवाली बीजेपी पर बहुत भारी पड़ गई.

    ममता बनर्जी के लड़ाकू तेवर तथा जन मन पर उनका प्रभाव इतना है कि किसी अन्य पार्टी की बंगाल में दाल ही नहीं गलती. विधानसभा चुनाव के 10 माह बाद भी स्थितियों में कोई फर्क नहीं आया है. टीएमसी ने नगर निकाय चुनाव में भी समूचे विपक्ष को बुरी तरह धराशायी कर दिया. बीजेपी एक भी निकाय में जीत दर्ज करने में विफल रही. बंगाल की 107 नगरपालिकाओं में से टीएमसी ने 102 में जीत दर्ज की. टीएमसी ने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता व नंदीग्राम के विधायक शुभेंदु अधिकारी का गढ़ मानी जानेवाली कांथी नगरपालिका में भी जीत हासिल की.

    उल्लेखनीय है कि शुभेंदु अधिकारी विधानसभा चुनाव से पूर्व टीएमसी से बगावत कर बीजेपी में चले गए थे. नंदीग्राम में उन्होंने ममता को हराया था लेकिन बाद में उपचुनाव में ममता ने फिर जीत हासिल कर ली थी. नगरपालिका चुनाव में वाममोर्चा और हमरो पार्टी ने 1-1 निकाय में जीत दर्ज की. माकपा नेतृत्व के लेफ्ट फ्रंट को नादिया जिले की ताहेरपुर नगरपालिका में जीत मिली. नई बनी ‘हमरो पार्टी’ ने टीएमसी, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा व बीजेपी को हरा कर उत्तरी बंगाल की दार्जिलिंग नगरपालिका पर कब्जा कर लिया. बीजेपी के लिए निकाय चुनाव अत्यंत हताशाजनक रहे.