मिताली राज का संन्यास जिसने महिला क्रिकेट टीम को पहचान दी

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    महिला क्रिकेट में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित करने वाली सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मिताली राज ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया. उनकी उपलब्धियां आश्चर्यजनक रहीं. 23 वर्ष के रिकार्ड क्रिकेट सफर में मिताली ने हर बाधा पार की और चैम्पियन बनकर उभरीं. महिला वनडे मैचों में मिताली ने सर्वाधिक 7,805 रन बनाए जो कि विश्व रिकार्ड है. इसी तरह उनका 22 वर्ष की उम्र में भारतीय महिला क्रिकेट टीम का कप्तान बन जाना और 232 वनडे खेलना भी विश्व रिकार्ड है. केवल 16 वर्ष की आयु में आयरलैंड के खिलाफ अपने पहले मैच में सेंचुरी मारने वाली वह सबसे युवा खिलाड़ी थीं.

    इसी तरह टी-20 में शतक लगानेवाली देश की पहली महिला क्रिकेटर हैं. महिला वनडे में निरंतरता कायम रखते हुए लगातार 7 अर्धशतक लगाने का रिकार्ड मिताली के नाम है. महिला क्रिकेट में दोहरा शतक (214 रन) लगाने वाली वह सबसे कम उम्र की खिलाड़ी रहीं. उन्हें महिला क्रिकेट की ‘लेडी तेंदुलकर’ कहा जाता था. क्रिकेट के तीनों प्रारूप में मिताली ने समान दक्षता दिखाई. महिला टेस्ट में 12 मैच खेलकर 43.68 के औसत से 699 रन बनाए.

    उन्होंने 1 शतक व 4 अर्धशतक बनाए. मिताली ने 232 वनडे मैच खेले जिनमें 50.68 के औसत से 7,805 रन बनाए तथा 7 शतक व 64 अर्धशतक जड़े. महिला टी-20 में 89 मैच खेलकर 2,364 रन बनाए जिनमें 17 अर्धशतक थे. एक मैच में अधिकतम 97 रन बनाए. खास बात यह है कि 23 वर्ष तक हर फार्मेट में क्रिकेट खेलते हुए मिताली ने अपना फिटनेस लेवल और आत्मविश्वास ऊंचा रखा. वे तीसरे या चौथे क्रमांक पर बल्लेबाजी करती रहीं और महिला क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय ऊंचाइयों पर ले गईं. जब बीसीसीआई और डब्ल्यूसीएआई का विलय हुआ तो इस बदलाव में भी मिताली का काफी योगदान था.