आश्वासन के बावजूद शिक्षकों की भर्ती नहीं

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महाराष्ट्र (Maharashtra News) में शिंदे-फडणवीस सरकार (Shinde-Fadnavis Government) सत्ता में आने के बाद शिक्षकों के 75,000 पदों को शीघ्र ही भरे जाने की घोषणा की गई थी. तब से डेढ़ वर्ष बीत गया स्कूलों में शिक्षक समायोजन का मुद्दा हल हो जाने पर भी भर्ती नहीं की गई. 2 माह बाद लोकसभा चुनाव की आचारसंहितालगने की संभावना है जिस दौरान शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकेगी. राज्य में डीएड व बीएड उत्तीर्ण उम्मीदवारों की तादाद लाखों में है. इनके बार-बार आंदोलन करने पर स्थानीय स्वराज्य संस्था तथा अन्य व्यवस्थापन ने पवित्र पोर्टल द्वारा भर्ती की अधिसूचना प्रकाशित की थी. इसके बाद 1,62,562 उम्मीदवारों ने भर्ती के लिए स्वप्रमाणपत्र प्रक्रिया पूरी की.

इतने पर भी अभी तक भर्ती नहीं होने से इन उम्मीदवारों में गहरी हताशा है. राज्य की जिला परिषदों की 70,000 स्कूलों में 56,00,000 विद्यार्थी पढ़ते हैं. शिक्षकों की भर्ती नहीं होने के कारण अनेक स्कूलें सिर्फ 1 ही शिक्षक के भरोसे चल रही है. कहीं ठेके पर अस्थायी शिक्षक रखे गए हैं जिसका विपरीत असर शिक्षा-व्यवस्था पर पड़ रहा है.

जिला परिषद की स्कूलों में 30,000 तथा निजी शिक्षा संस्थाओं की स्कूलों में 15,000 शिक्षकों की कमी है. बार-बार आश्वासन देने के बाद भी भर्ती नहीं होने से हताश होकर सितंबर में एक योग्यताधारक ने मंत्रालय से कूदकर खुदकुशी का प्रयास किया था. शिक्षक भर्ती को लेकर जुलाई 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद राज्य सरकार ने अदालत में शिक्षक भर्ती का टाइमटेबल पेश किया.

इसके बाद 2022 के शीतकालीन सत्र में शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने शिक्षक भर्ती की घोषणा की. अदालत के बार-बार पूछने पर जनवरी 2023 में शिक्षक भर्ती के लिए अभियोग्यता परीक्षा घोषित की गई.

फरवरी 2023 में ली गई इस परीक्षा में 2,40,000 उम्मीदवारों ने भाग लिया. तब से 11 महीने बीत गए लेकिन अब तक भर्ती नहीं हुई. गत माह नागपुर में हुए विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में शालेय शिक्षामंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि शिक्षकों के समायोजन का प्रश्न हल हो गया है और 2 दिनों में विज्ञापन दे दिया जाएगा. अभी तक इस आश्वासन की पूर्ति नहीं हुई. उल्लेखनीय है कि सरकार संच मान्यता और बिंदु नामावली का कारण बताते हुए नियुक्तियां टाल रही है.

भर्ती नहीं किए जाने के विरोध में जुलाई 2023 में योग्यता धारकों ने 40 दिनों तक मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन किया था तब भी उन्हें 15 दिनों में भर्ती का आश्वासन दिया गया था. अब तक स्कूलों में शिक्षक भर्ती नहीं होने से योग्य उम्मीदवारों में भारी असंतोष है. साथ ही शालेय शिक्षा पर भी विपरीत असर पड़ रहा है अब कार्यरत शिक्षकों को मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव ड्यूटी पर लगा दिया जाएगा. इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी.