rishi Sunak's trouble increased due to boris johnson resignation

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जिन अंग्रेजों ने भारत पर 200 वर्ष से ज्यादा समय तक राज किया, उनके मुल्क पर पहली बार एक भारतीय मूल के व्यक्ति ऋषि सुनक का बतौर प्रधानमंत्री हूकूमत करना अभिमान का विषय रहा है. इसके बावजूद ब्रिटेन की राजनीति जिस तरह से करवट ले रही है, उसमें सुनक की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने अचानक अपनी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे में सुनक की आलोचना की है. जानसन और सुनक दोनों एक ही पार्टी के हैं. जानसन पर आरोप था कि कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने अपने आधिकारिक निवास 10, एऊनिंग स्ट्रीट में पार्टियां की थीं. इस मामले की जांच के लिए हाउस ऑफ कामन्स ने एक कमेटी बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में जानसन पर पाबंदियां लगाने की सिफारिश की. इससे नाराज होकर जानसन ने आरोप लगाया कि कुछ लोग साजिश के तहत मुझे फंसा रहे हैं. वह अभी तक मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं दे पाए हैं. इस पार्टी गेट प्रकरण में ऋषि सुनक से भी पूछताछ हो सकती है. ऐसे आसार है कि जानसन के इस्तीफे से खाली ऑक्सब्रिज सीट के उपचुनाव में सुनक की कंजरवेटिव पार्टी हार सकती है. अगले वर्ष ब्रिटेन में आम चुनाव है. ओपीनियन पोल में सुनक की पार्टी बुरी तरह पिछड़ रही है. ऐसी हालत में सुनक की कुर्सी भी खतरे में पड़ने की आशंका है. जानसन का आरोप है कि जांच करनेवाली समिति ने कानून की अवहेलना का कंगारू कोर्ट का काम किया. यह सब ब्रेक्जिट का बदला लेने और 2016 के जनमत संग्रह को पलटने के लिए किया जा रहा है. समिति की रिपोर्ट त्रुटियों और पूर्वाग्रह से भरी हुई है. बोरिस जानसन के पीएम पद से इस्तीफे के बाद उनकी जगह लिज ट्रूस प्रधानमंत्री बनी थीं लेकिन वह कुछ सप्ताह ही इस पद पर रह पाई थीं. कंजरवेटिव पार्टी का व्यापक बहुमत ऋषि सुनक के साथ था. इसलिए सुनक पीएम बने. अब बोरिस जानसन की खाली सीट के अलावा अन्य 2 सीट पर भी हाउस आफ कामंस के उपचुनाव होंगे. इनमें पार्टी को जिताना सुनक के लिए बड़ी चुनौती होगी. यदि उन्हें पार्टी का बहुमत कायम रखने में कामयाबी नहीं मिली तो उनके पीएम पद पर भी आंच आ सकती है.