मध्य-पूर्व में युद्ध के बादल, कच्चा तेल महंगा होने के प्रबल आसार

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मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव तथा ईरान व इजराइल के बीच युद्ध छिड़ने की संभावना के बीच कच्चे तेल (क्रूड) (Crude oil becoming expensive) की कीमतें 5 माह में सबसे ऊपर जा पहुंची हैं। तनाव अपने चरम पर है। इससे होरमुज की खाड़ी से जहाजों का आवागमन रुक सकता है तथा तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने पहले ही तेल उत्पादन में कटौती कर दी है। निवेशकों को चिंता है कि ईरान और इराक से तेल की सप्लाई रुक सकती है। विश्व को एक तिहाई तेल की आपूर्ति मध्य-पूर्व से ही होती है।
 
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातकर्ता है जिसे वह अपनी रिफाइनरी में साफ कर पेट्रोल, डीजल व नाफ्था का रूप देता है। भारत की 85 प्रतिशत जरूरतें आयात किए गए तेल से पूरी होती हैं। देश में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रभावित होती हैं। गत 2 वर्षों से यह दरें अपरिवर्तित हैं। मार्च में क्रूड आइल की कीमत 4 माह में सबसे ऊंची रही।

यदि पेट्रोल-डीजल महंगा हुआ तो देश की महंगाई में और इजाफा होगा। रसोई गैस भी और महंगी हो सकती है। चुनाव पर भी इसका असर हो सकता है क्योंकि महंगाई और बेरोजगारी बड़े ही संवेदनशील मुद्दे हैं। अपनी हाल की नीति विषयक बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 4। 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान व्यक्त किया किंतु यदि तेल कीमतें बढ़ जाती है तो महंगाई इस अनुमान को पार कर जाएगी। एक खतरा यह भी है कि खाड़ी युद्ध हुआ तो विदेशी निवेशक भारतीय स्टॉक मार्केट से अपना पैसा निकालने की सोचेंगे। मार्केट क्रैश होने से भी अर्थव्यवस्था पर कहीं न कहीं गहरा असर पड़ता है। वैसे भारत का पूंजी बाजार पिछले नवंबर माह से काफी विदेशी निवेश आकर्षित कर रहा है।

यदि तेल कीमतें बढ़ीं तो भारत को अभी जो लाभ पहुंचा है वह घाटे में परिवर्तित हो सकता है। मध्य-पूर्व में बढ़ रहा तनाव भारत के स्टाक मार्केट पर असर डाल रहा है। सेंसेक्स में गिरावट आई है। डॉलर के मुकाबले रुपया भी गिरा है। मार्केट कैपिटलाइजेशन या बाजार पूंजीकरण में 5 लाख करोड़ की गिरावट आई है। यदि युद्ध भड़कने से जहाजों का समुद्री मार्ग बदला गया तो माल ढुलाई का खर्च बढ़ेगा जिससे चुनाव के बाद देशवासियों को महंगे पेट्रोल-डीजल की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। प्रश्न है कि बाहरी घटनाक्रम से अर्थव्यवस्था पर होनेवाले विपरीत प्रभाव का आखिर इलाज क्या है?