दंगाइयों को बुलडोजर की धमकी यूपी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में इनकार

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    उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दंगाइयों के घरों पर बुलडोजर चलाने की खुलेआम घोषणा की थी लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट में इस बात से इनकार करते हुए कहा कि बुलडोजर कार्रवाई का दंगों से कोई संबंध नहीं है. मकानों को कानूनी तौर पर ढहाया गया और यह कार्रवाई कानपुर व प्रयागराज के विकास प्राधिकरणों ने उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1972 के तहत की गई. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका के जवाब में शपथ पत्र दाखिल करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा की गई कानूनी कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण रंग देने का प्रयास किया.

    इसका पैगंबर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भड़के दंगों से कोई संबंध नहीं है. गैरकानूनी निर्माण को लोकल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने हटाया, जो अपने आप में स्वायत्त संस्था है और सरकार के अधीन नहीं है. यूपी में बुलडोजर चलाने और पुलिस की हिंसा को लेकर हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया कि असंतोष व्यक्त करने की हिम्मत दिखाने वाले नागरिकों को क्रूर दंड देने के लिए ‘बुलडोजर न्याय’ का विचार कई प्रदेशों में अपवाद की बजाय नियम बन रहा है.

    इसके पीछे बहुसंख्यक सत्ता का अहंकार है. इस पत्र पर पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई व पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह के हस्ताक्षर हैं. यूपी सरकार ने दावा किया कि मकानमालिकों ने अवैध निर्माण की बात स्वीकार की है. उन्होंने बगैर अनुमति के निर्माण किया था. आवासीय की जगह व्यावसायिक निर्माण भी हुआ था. दंगों के पहले से ही अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई जारी थी. लोगों को पर्याप्त अवसर देकर नियमानुसार कार्रवाई की गई.