विदेशी अखबार में छपा एड, निर्मला को कहा ‘वांटेड’

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अमेरिका के प्रमुख अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में मोदी सरकार के खिलाफ एक विज्ञापन छपा है जिसने भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित 10 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को विदेशी निवेशकों का विरोधी बताते हुए ‘वांटेड’ बताया गया है. जब निर्मला अमेरिका में मौजूद हैं तो यह गुमशुदा की तलाश वाला विज्ञापन क्यों छापा गया?’’ 

    हमने कहा, ‘‘अमेरिका का आकार भारत से ढाई गुना है. वहां 4 टाइम जोन हैं. वाशिंगटन डीसी के समय और कैलिफोर्निया के समय में 2 घंटे का अंतर रहता है. हो सकता है कि निर्मला कहीं खो गई होंगी तभी तो ऐसा विज्ञापन छपा.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ऐसी बात नहीं है. विज्ञापन में शिकायत है कि निर्मला सीतारमन विदेशी निवेशकों के रास्ते में रोड़ा बनी हुई हैं. जब मोदी सरकार ने व्यवसाय में आसानी या ईज आफ डूइंग बिजनेस का प्रावधान कर रखा है तो ऐसा गिला-शिकवा क्यों होना चाहिए. विदेशी यहां शौक से प्रवेश और भरपूर निवेश भी करें.’’ 

    हमने कहा, ‘‘विदेशी निवेशक को भारत में उद्योग के लिए जमीन हासिल करने, विभिन्न विभागों से तरह तरह के लाइसेंस और क्लीयरेंस लेने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं. नेताओं से लेकर अफसरों तक को रिश्वत रूपी खुश करना पड़ता है. फिर पर्यावरण विभाग अडंगा लगाता है. सब कुछ होने के बाद कोई एनजीओ आंदोलन शुरू करता है कि स्थानीक लोगों को नौकरी दो. 

    स्वदेशी आंदोलन वाले भी विदेशी निवेशक के विरोध में खड़े हो जाते हैं. प्रोडक्शन शुरू होने से पहले ही संगठित गिरोह या माफिया हर महीने मोटी रकम या प्रोटेक्शन मनी मांगने लगता है. पानी, बिजली वाले भी उद्योजक के सामने अपनी मांग रख देते हैं. मुनाफा कमाना तो दूर रहा, विदेशी निवेशक को दुम दबाकर वापस भाग जाना पड़ता है. हमारा सिस्टम ही ऐसा है. इस नेशन में धंधा करना है तो कमीशन दो.’’