नेता मतलब से पार्टी बदलता, कभी भूलकर भी नहीं रोता

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, समझ में नहीं आता कि हम राहुल गांधी पर भरोसा करें या अशोक चव्हाण  पर? राहुल ने अशोक का नाम न लेते हुए कहा कि कांग्रेस छोड़ने से पहले पार्टी के एक सीनियर नेता ने पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से रोते हुए बीजेपी से उन पर आ रहे दबाव की बात कही थी।  इसके जवाब में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि मैं सोनिया के पास रोने नहीं गया था।  मैंने विधायक पद से इस्तीफा दिया और कुछ देर बाद पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया।  मैं सोनिया गांधी से कभी नहीं मिला।  निशानेबाज बताइए कि इन दोनों में से किस नेता का बयान सच्चा है?’’ 

हमने कहा, ‘‘राजनीति में सच्चे-झूठे की बात ही मत कीजिए।  कोई सत्यवादी हरिश्चंद्र पॉलिटिक्स में नहीं आता।  अंग्रेजी में कहावत है- पॉलीटिक्स इज ए गेम आफ स्काउंडलर्स।  इसका हिंदी अनुवाद आप खुद कर लीजिए।  ‘आदर्श’ से जुड़े नेता को 65 वर्ष की उम्र में अचानक ध्यान में आया कि देश में सबसे आदर्श पार्टी कोई है तो बीजेपी।  उसमें शामिल होना गंगास्नान करने जैसा है। ’’ 

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मुद्दा यह है कि अशोक चव्हाण रोये कि नहीं रोये? यदि राहुल के मुताबिक वह रोए तो क्या सोनिया ने उन्हें समझाया होगा- रोते-रोते हंसना सीखो, हंसते-हंसते रोना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना।  हम तो समझते हैं कि जिसका नाम अशोक है, उसे कभी शोक नहीं होता।  ऐसा व्यक्ति रोएगा क्यों?’’ 

हमने कहा, ‘‘जब व्यक्ति पुराना नाता टूटने से दुखी होता है तो आंसू छलक आते हैं।  अशोक चव्हाण का कांग्रेस से खानदानी नाता था।  उनके पिता शंकरराव चव्हाण महाराष्ट्र के सीएम रहने के अलावा केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। ’’ 

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज लोग या तो किसी प्रभाव में पार्टी बदलते हैं या दबाव में आकर।  गीता में कहा गया है कि आत्मा जीर्ण वस्त्रों के समान हो चुके पुराने शरीर का त्याग कर नया शरीर ग्रहण करती है।  इसी तरह नेता भी पुरानी पार्टी त्याग कर अन्य पार्टी में चले जाते हैं।  वहां जाकर तुरंत राज्यसभा की सहायता मिल जाती है और जांच एजेंसियों का कोई भय नहीं रह जाता।  कांग्रेस अपने दलबदलू नेताओं से कह सकती है- मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना, ना दिल को दुखाना, मुझे भूल जाना!’’ 

हमने कहा, ‘‘ जैसे मछली पानी के बिना रह नहीं सकती वैसे ही राजनीति में नेता पद के बगैर रह नहीं सकता।  इधर आंखों ही आंखों में इशारा हो गया और उधर नेता पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में चला गया। ’’