पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में गंभीर चूक हो गई. एक युवक और युवती रात के समय गाड़ी से राष्ट्रपति भवन में दाखिल हो गए. दोनों ही नशे में थे.’’
हमने कहा, ‘‘नशा या तो प्रेम का होता है या सत्ता का. मादक पदार्थों का नशा करनेवाले भी कम नहीं हैं. जहां तक प्रेम के नशे की बात है, प्रदीप कुमार और बीना राय की पुरानी फिल्म ‘अनारकली’ का गीत था- मोहब्बत में ऐसे कदम लड़खड़ाए, जमाना ये समझा कि हम पी के आए!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोई होश में हो या नशे में, उसे राष्ट्रपति भवन जाने की जुर्रत नहीं करनी चाहिए. अगर कहीं जाना ही है तो किसी हीरोइन का दीदार करने उसके बंगले के सामने खड़े हो जाओ कि कभी तो बालकनी में आएगी. मुंबई पहुंचनेवाले जबरा फैन अमिताभ बच्चन के ‘जलसा’ या ‘प्रतीक्षा’ बंगले के सामने प्रतीक्षा करते घंटों खड़े रहते हैं कि कभी तो बिग बी के दर्शन होंगे. कुछ लोग शाहरुख खान को देखने की मन्नत मानकर मुंबई पहुंचते हैं और किंग खान के ‘मन्नत’ बंगले के सामने खड़े रहते हैं कि शाहरुख, आर्यन या गौरी खान में से किसी की एक झलक मिल जाए.’’
हमने कहा, ‘‘एक बार संसद भवन में आंतकियों ने धावा बोल दिया था, तब से सुरक्षा कड़ी कर दी गई. अब राष्ट्रपति भवन के परिसर में युवक-युवती दाखिल हो गए. आखिर सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थीं? अमेरिका जाने वाले लोग जब वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस देखने जाते हैं तो करीब 1 किलोमीटर दूर से उस श्वेत भवन को देखते हैं जहां कभी 4 वर्ष तो कभी 8 वर्ष की 2 टर्म के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रहता है और फिर वहां से बाहर हो जाता है. वहां कड़ी सिक्योरिटी रहती है. यहां तक कि व्हाइट हाउस की छत पर शार्पशूटर तैनात रहते हैं जो किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को अपनी दूरबीनवाली बंदूक से निशाना बना सकते हैं.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आप अमेरिका की नहीं, अपने भारत महान की बात कीजिए. ये युवक-युवती शाहजहां का बनवाया हुआ लालकिला देखने जा सकते थे. वे चांदनी चौक में चंदू के चाचा को चांदी के चम्मच से चटनी चटाते देखते. कनॉट प्लेस की सैर करते या पराठेवाली गली में जाकर जायके का सफर तय करते. राष्ट्रपति भवन अंग्रेजों के जमाने में लुटियन का बनाया हुआ है. इन युवाओं को कुछ वर्ष प्रतीक्षा कर पीएम मोदी के सेंट्रल विस्टा बन जाने का इंतजार करना था और फिर नमो-नमो जपते हुए वहां जाना था.’’