
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) बेरोजगार (Unemployed) युवाओं ने प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) से रोजगार मांगना शुरू कर दिया है. ट्िवटर पर पोस्ट किया गया- न चोर न चौकीदार… साहब मैं तो बेरोजगार.’’ (Na Chor Hun na chokodaar Hun me to Ek yuva berojgar hu) हमने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का काम देश चलाना है, रोजगार देना नहीं. क्या सोशल मीडिया पर रोजगार की मांग करनेवालों ने पीएम को एम्प्लायमेंट एक्सचेंज समझ लिया है? लोगों को अपनी बुद्धि से खुद रोजगार खोज लेना चाहिए.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी सरकार के नेताओं ने समय-समय पर सुझाव दिए किंतु युवाओं ने उस पर अमल ही नहीं किया. यह कहा गया था कि पकौड़े तलना भी एक रोजगार है. इस बारे में सर्वे करना चाहिए कि इस सलाह के बाद कितने लोगों ने पकौड़ा विक्रेता का रोजगार अपनाया.’’ हमने कहा, ‘‘रसोई गैस महंगी है, तेल और बेसन भी महंगा हो गया ऐसे में कोई पकौड़ा बनाए भी तो कैसे?’’ हमने कहा, ‘‘उसका भी उपाय बताया गया था कि किसी व्यक्ति ने नाले से निकलनेवाली गैस से चूल्हा जला लिया था. देश में नालों की कमी नहीं है. बेरोजगार युवा अपनी पसंद का कोई भी नाला चुन लें और वहां से निकलनेवाली गैस से काम चलाएं. लोग व्हाइट कॉलर जॉब मांगेंगे तो कैसे काम चलेगा? कितने ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं जो कोई काम नहीं करते फिर भी उनका काम चलता है. किसी नेता की चमचागीरी करो, उसका पट्टा गले में डालो तो बेरोजगारी खुद ही भाग जाएगी. सत्ता के दलाल हमेशा माल कमाते हैं.
देश में आए दिन कोई न कोई इलेक्शन होता है. उसमें किसी पार्टी या नेता से चिपक जाओ. कुछ तो कमाई हो ही जाएगी. चुनावी सभा में होनेवाली किराए की भीड़ का हिस्सा बन जाओ. जो भी खाना खिलाए, जेब में नोट डाल दे और बस या ट्रक में भरकर सभा के मैदान तक ले जाए, उसे अपना हितैषी मानो. बगैर भेदभाव हर पार्टी की सभा में इसी तरह जाओ.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, युवाओं को जब तक कोई स्थायी या ढंग का जॉब नहीं मिलता, तब तक वे क्या करें? लोग तो यही ताना देते है कि पढ़ा-लिखा जवान होकर भी कोई काम नहीं करता. माता-पिता पर बोझ बना हुआ है.’’ हमने कहा, ‘‘लोगों की बात पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है. बेरोजगार को यही सलाह दीजिए- खाली मत बैठा कर, पायजामा उधेड़ सिया कर!’’