योगी के बुलडोजर फार्मूले को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी फॉलो किया।
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तुंग ने कहा था कि पावर कम्स फ्राम द बैरल आफ ए गन अर्थात सत्ता की ताकत बंदूक की नली से निकलती है लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उस घिसी-पिटी परिभाषा को बदल कर दिखा दिया है कि पावर बुलडोजर से निकलता है। माफिया, समाजकंटक, दुष्कर्मी, बदमाश के घर पर सीधे बुलडोजर चला दो। जब उसका मकान, हवेली या आशियाना ढहकर मलबे में तब्दील हो जाता है तो जनता समझ जाती है कि सरकार से ज्यादा पावरफुल कोई नहीं है। सत्ता के सामने पत्ता तक नहीं हिलता। योगी के बुलडोजर फार्मूले को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी फॉलो किया। ‘मत चूके चौहान’ की तर्ज पर उन्होंने भी कोर्ट-कचहरी या अपील-वकील-दलील की चिंता न करते हुए दुष्कर्मियों के घरों पर बुलडोजर चलवा देने का साहस दिखाया। इनके बाद गुजरात की बीजेपी सरकार ने भी दंगाइयों की गैरकानूनी दूकानों पर बुलडोजर चलवा दिया।’’
हमने कहा, ‘‘अब तो कांग्रेस को भी समझना चाहिए कि बीजेपी का बुलडोजर कितना बलशाली है। कांग्रेस को अपनी गिनीचुनी राज्य सरकारों को आगामी चुनावों में बीजेपी के बुलडोजर से बचाना होगा। कांग्रेस के पंजा चुनाव चिन्ह से योगी-शिवराज के बुलडोजर का सामनेवाला पंजा ज्यादा पावरफुल बन गया है जो किसी को भी मटियामेट कर सकता है। उसमें नेताओं के दृढ़ निश्चय की ऊर्जा और बुराई को मिटाने का संकल्प व साहस है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जब बुलडोजर का आविष्कार नहीं हुआ था तब हाथी का इस्तेमाल किया जाता था। बादशाह या राजा-महाराजा जिस पर खफा हो जाते थे, उसे हाथी के पैरों तले कुचलने का दंड दिया करते थे। आज सेना के पास टैंक और बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के पास बुलडोजर है। इससे दुर्जनों में दहशत फैल जाती है। कुछ तो स्वेच्छा से अपना अतिक्रमण हटाने को तैयार हो जाते है।’’ हमने कहा, ‘‘जब ऐसी बात है तो कमल जैसे सुकोमल फूल वाली पार्टी को अपना चुनाव चिन्ह बदलकर बुलडोजर कर लेना चाहिए।’’