Nishanebaaz-cold weather-winter-The cold wave is showing, the price of flour will be seen, now the bonfire started burning

‘मौसम पर किसी का वश नहीं चलता. वैसे भी ऋतुचक्र बिगड़ गया है.

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, मकर संक्राति पर इतने बादल छाए थे कि सूर्यदेव के दर्शन ही नहीं हुए. अभी भी बादल छाए हैं ऊपर से शीतलहर ताव बता रही है. इसके अलावा बेमौसमी बारिश ने भी लोगों की परेशानी बढ़ा दी है.’’

    हमने कहा, ‘‘मौसम पर किसी का वश नहीं चलता. वैसे भी ऋतुचक्र बिगड़ गया है. असमय पानी बरसने से फसलें बरबाद हो गईं. किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया. जब ठंडे मौसम के साथ बारिश का गठबंधन हो जाए तो स्वेटर-कोट निकालनेवाला आलमारी में ढूंढकर रेनकोट निकालने को मजबूर हो जाता है. जो लोग घी से तर माल खाकर बाहर निकलते हैं वे भी रास्ते में बारिश की चपेट में आकर तरबतर हो जाते हैं.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जब बादल हटेगा तो ठंड और बढ़ जाएगी. देश के कुछ हिस्सों में शीतलहर कहर ढ़ा देती है. पूरे उपमहाद्वीप में ठंड का प्रकोप है. जब पीओके स्थित हिलस्टेशन मरी में 23 पर्यटकों की भारी बर्फबारी से मौत हो गई तो पाकिस्तान के एक नादान मंत्री फवाद चौधरी ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया कि जो लोग बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं वे बर्फ का स्प्रे खरीद लें और घर में ही एक-दूसरे पर छिड़क लें.’’

    हमने कहा, ‘‘यह भी तो देखिए कि इतनी ठंड से राहत पाने के लिए लोग अलाव जला रहे हैं ताकि गर्मी का अहसास हो. कश्मीर में लोग कांगड़ी नामक बेंत की बनी टोकरी में सिगड़ी रखकर सीने पर बांध लेते हैं जिससे ठंड से बचाव होता है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हर मौसम का पूरा-पूरा आनंद लेना चाहिए और गुनगुनाना चाहिए- मौसम है आशिकाना! जहां तक अलाव जलाने की बात है वहां चार लोगों का जमाव इकट्ठा हो जाता है जो आपस में गपशप करते हैं. अलाव चल सकता है लेकिन देश या समाज में अलगाव नहीं होना चाहिए.’’