nishanebaaz-Congress President should be non-Gandhi, who was listening to Kurien giving his opinion

हर नेता अपनी कमजोर औलाद को भी फौलाद बनाना चाहता है.

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, राज्यसभा के पूर्व उपसभापति और कांग्रेस के जी-23 समूह के नेताओं में से एक पीजे कुरियन ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार से नहीं होना चाहिए. इस संबंध में आपकी क्या राय है?’’

    हमने कहा, ‘‘कुरियन ने किसी कुरियर के जरिए नहीं, बल्कि सीधे संदेश भेजा है कि कांग्रेस को परिवारवादी नेतृत्व से मुक्त किया जाए. वैसे फैमिली रूल कहां नहीं है! श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री हैं. भाई-भतीजावाद की मिसाल उन्होंने कायम की है. पाकिस्तान में शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने तो उनका बेटा भी पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री बन गया. हर नेता अपनी कमजोर औलाद को भी फौलाद बनाना चाहता है.

    जनता अपने प्रश्नाधिकार का इस्तेमाल करे या न करे, नेता अपने खानदानी उत्तराधिकार का इस्तेमाल अवश्य करते हैं. कुरियन कह सकते हैं कि बड़े नेता मलाई खाते हैं और छोटों को खुरचन भी नहीं मिलती. पार्टी अध्यक्ष पद को गांधी परिवार ने अपनी मोनोपली या सर्वाधिकार सुरक्षित बना रखा है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ब्रांडिंग भी तो कोई चीज होती है. कांग्रेस पर नेहरू-गांधी ब्रांड चिपका हुआ है. उसी से आम जनता के बीच उसकी मार्केटिंग होती चली आ रही है. वैसे तो कितने ही अन्य लोगों को कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष बनाकर देख लिया लेकिन छाप तो इसी परिवार की बनी रही. हम आपको ऐसे कांग्रेस अध्यक्षों के नाम बताते हैं जो गांधी परिवार के नहीं थे. यूएन ढेबर, के.कामराज, एस निजलिंगप्पा, देवकांत बरुआ, ब्रम्हानंद रेड्डी, नीलम संजीव रेड्डी, शंकरदयाल शर्मा, सीताराम केसरी वगैरह. नेहरू, इंदिरा, राजीव या सोनिया के सामने किसी कांग्रेस अध्यक्ष का व्यक्तित्व उभर नहीं पाया.

    अभी भी सोनिया चाहें तो जिस तरह उन्होंने मनमोहन सिंह को पीएम मनोनीत किया था, उसी तरह किसी भी पार्टी नेता को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर दें. मनोनीत अध्यक्ष मन का मीत होता है. देवकांत बरुआ ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष थे जिन्होंने हद दर्जे की चापलूसी करते हुए कहा था- इंदिरा इज इंडिया!’’

    हमने कहा, ‘‘उम्मीद कीजिए कि कांग्रेस में अध्यक्ष मनोनीत नहीं हो और इसी वर्ष नए अध्यक्ष का चुनाव कराया जाए. वह गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान होगा या स्वतंत्र विचारों वाला, यह तो समय ही बताएगा.’’