nishanebaaz-indian economy expansiveness tomato and onion price hike

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज बारिश का सीजन इस बार लंबा चला. ऐसा लगता है कि इस बार इंद्रदेव और वरुणदेव दोनों ही कुछ ज्यादा प्रसन्न थे. इस वजह से रिकार्डतोड़ बरसात हुई. इसका असर यह हुआ कि महंगाई बढ़ गई.’’

    हमने कहा, ‘‘महंगाई तो बढ़ने के लिए ही होती है. कहते हैं कि यदि किसी लड़की की उंचाई व वजन कम है तो उसे कम्प्लान, प्रोटीन पाउडर, एंडयोरा मास, बूस्ट आदि देने की जरूरत नहीं. उसका नाम महंगाई रख दो और फिर देखते कितनी तेजी से बढ़ती है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महंगाई से टमाटर लाल हो गया है और प्याज के दाम भी पसीना लाने लगे हैं. दिन में 2 वक्त की सब्जी लगभग 300 रुपए की पड़ती है. रिजर्व बैंक भी बढ़ती महंगाई से चिंतित हैं. वह रेपोरेट या बैंकों को दिए जानेवाले कर्ज में 0.50 फीसदी की वृद्धि कर सकता है.’’

    हमने कहा, ‘‘बढ़ती महंगाई ऊंचे जीवन स्तर को दर्शाती है. उससे मुकाबला करना है तो अधिक मेहनत करो और आमदनी बढ़ाओ. हमने किसी अफसर या मंत्री को महंगाई की फिक्र करते नहीं देखा. सिर्फ मिडिल क्लास लोग गाते हैं- बाकी जो कुछ बचाया, महंगाई मार गई. यह गाना उस जमाने का था जब खुली अर्थव्यवस्था और भूमंडलीकरण नहीं था. अब भारत विश्व की पांचवें नंबर की इकोनॉमी है. सड़कों पर कारों का जाम लगा रहता है. दूकानों, मॉल्स और ‘शो रुम’ में भीड उमड़ पड़ती है. पास में नगद रकम न भी हो तो बड़ी बहन अपने छोटे भाई से कहती है- छोटे, तू मुंह चला, गूगल पे हर जगह चलता है!

    क्रेडिट कार्ड और ईएमआई जैसी सुविधाओं ने इंसान को खर्चीला बना दिया है. त्योहार महंगाई को तड़का लगा देते हैं. सेल का खेल भी खूब चल पड़ता है. इकोनॉमी में गति तभी आती हैं जब लोग भरपूर पैसा खर्च करें और धन इस हाथ से उस हाथ में जाए. अब लोग कंजूस नहीं रहे. उनका दिल और हाथ दोनों खुल गए हैं. आज का उपभोक्ता या कंज्यूमर है निडर, महंगाई क्या करेगी उस पर असर. बाजारों में नवरात्रि की धूम। रियलिटी सेक्टर में भी आएगा बूम!’’