nishanebaaz-The dignity of seeing beyond time and space, Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari recited the glory of sages

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    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज इंडियन साइंस कांग्रेस को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि भारत के ऋषि-मुनि अपनी आधअयात्मिक शक्ति के बल से समय और अंतरिक्ष के उस पार देख सकते थे. आज के जमाने में वैज्ञानिक भी ऋषि-मुनियों की भूमिका निभा रहे हैं. महामहिम के इस महिमापूर्ण मन्तवन्य के बारे में आपकी क्या राय है?’’

    हमने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि ऋषि-मुनियों के वन में स्थित आश्रम वैज्ञानिक प्रयोग शालाएं थीं. मुनि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को बला और अतिबला नामक जड़ीबूटी दी थी जिसके सेवन से भूख-प्यास नहीं लगती थी और शरिर में बल बना रहता था. उन्होंने प्रशिक्षण के साथ राम-लक्ष्मण को ऐसा मिसाइल टाइम का शस्त्र दिया था कि दोनों वीरों ने खर-दूषण की 14000 राक्षसों की सेना को कुछ ही पलों में मार गिराया था. अगस्त्य मुनि ने राम को वह अमोघ बाण दिया था जिससे रावण को मारा जा सकता था. अनसुया माता ने सीता को ऐसे वस्त्र दिए थे जो कभी मैले नहीं होते थे. शिव ने विष्णु भगवान को सुदर्शन चक्र बनाकर दिया था और अर्जुन को पाशुपत अस्त्र व पिनाक धनुष प्रदान किया था. ब्रम्हा ने ब्रम्हास्त्र बनाकर दिया था.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आज भी ब्रम्होस और पिनाका जैसे मिसाइल हैं जिन्हें डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बनाया है. मुद्दा यह है कि ऋषि-मुनि अपने योग व तपोबल से मस्तिष्क के अरबों न्यूटान को एक्टिवेट कर लेते थे. जबकि आज बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी अपने मस्तिष्क के सिर्फ 17 वें हिस्से का इस्तेमाल कर पाता है. हमारे मुनि मंत्रदृष्टा थे. भगवान शंकर ने बुधकौशिक मुनि को स्वप्न में रामरक्षा स्तोत्र सुनाया जिसे शत:काल जागने पर मुनि ने वैसा कि वैसा ही लिख लिया. विश्वामित्र ने राजा निशंकु को सदेह स्वर्ग भेजने का उपक्रम किया था. पुष्पक विमान मन की शक्ति से चलता था. विश्वकर्मा ने रात भर में भव्य यऔर सर्वसुविधायुक्त द्वारिकापुरी का रात भर में निर्माण कर दिया था. पहले पारे से सोना बनाने की विद्या थी. इसके लिए अंग्रेजी में अलब्रेमिस्ट और उर्दू में कीमियागिरी जैसा शब्द मौजूद हैं. भारत में सिर्फ कोलार में सोने की एकमात्र खदान थी. फिरसोचिए कि राजा-महाराजाओं के स्वर्णमुकुट, स्वर्णसिंहासन, स्वर्णाभूषण और स्वर्ण मुद्राएं कहां से आईं. सत्राजित के पास सूर्य की दी हुई ऐसी चमत्कारी मणि थी जो भरपूर सोना उगलती थी. मुनियों ने भविष्य पुराण में आनेवाले समय का पहले ही लेखाजोखा लिख डाला. तब साइंस का आधार आध्यात्मिक चिंतन था.’’