गंभीर प्रत्याशियों पर देना ध्यान, वोटकटवा से रहना सावधान

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पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, पक्षियों में चकवा और प्रत्याशियों में वोटकटवा की रहती है. चकवा या चातक पक्षी की मौजूदगी विशेषता यह रहती है कि वह प्यासा रह जाएगा लेकिन सिर्फ स्वाति नक्षत्र में बरसनेवाले पानीकी बूंद पिएगा.”   

हमने कहा, “यह सब कवियों की कल्पनाएं हैं. हम तो नहीं मानते कि चातक पक्षी वर्ष भर प्यासा रहता होगा और सिर्फ स्वाति की बूंद पीता होगा. अच्छा होगा कि आप हमें चुनाव के मौके पर पैदा होनेवाले वोटकटवा उम्मीदवारों के बारे में बताइए, वे मेंढक के समान अचानक फुदकने लगते हैं.” 
हमने कहा, “जो उम्मीदवार खुद चुनाव जीतने की औकात नहीं रखता लेकिन दूसरे का बना-बनाया खेल बिगाड़ने का शौक रखता है, वह वोटकटवा होता है. उसकी वजह से वोट बंट जाते हैं. जिसे जीतने की उम्मीद होती है, वह ऐसे वोटकटवा की शरारत की वजह से हार जाता है.

“निशानेबाज, कुछ दिलजले इसी उद्देश्य से उम्मीदवारी का फार्म भरते हैं ताकि पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवार आकर उन्हें मनाएं और नाम वापस लेने या बैठ जाने के लिए पैसे दें. इनका काम चुनाव का गणित बिगाड़ना होता है. वे निर्दलीय के रूप में खड़े होकर चुनाव मैदान में दलदल पैदा कर देते हैं ताकि अन्य उम्मीदवार उसमें फिसल जाएं.” 

हमने कहा, “चुनाव आयोग तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चाहता है लेकिन जातिवाद की राजनीति अपना काम करती है. जब एक ही जाति के अनेक प्रत्याशी खड़े हो जाएं तो उनके वोट आपस में बंट जाते हैं. कुछ पार्टियां भी चुपचाप वोटकटवा उम्मीदवार को खड़ा कर देती हैं. अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ साजिश करने के लिए ऐसा किया जाता है.”

हमने कहा, “लोगों को समझना चाहिए कि हमारा लोकतंत्र, पार्टी आधारित है. निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने के बाद किसी न किसी पार्टी की सरकार का समर्थन करते हैं. वोटकटवा को पैसों का बटुआ देकर अपना बहुमत तैयार कर लिया जाता है.”