PM Modi Election Time

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, मानना होगा प्रधानमंत्री मोदी की एनर्जी और अपनी पार्टी के प्रति समर्पण की. वे राज्यों में चुनाव प्रचार करने उतर पड़ते हैं. पीएम जैसे ऊंचे पद पर रहते हुए भी विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सीधी टक्कर लेते हैं. उनके राज्यों में जाकर उनकी आलोचना और खिंचाई करते हैं.’’ 

हमने कहा, ‘‘उन्हें जवाब भी तो वैसा ही मिलता है. राज्यस्तरीय छोटे नेता भी प्रधानमंत्री को तीखा जवाब देते हैं. यहां तक कि उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राऊत ने तो यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री मोदी का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए क्योंकि वह लोकसभा चुनाव के बाद देश छोड़कर भाग जानेवाले हैं. अपनी कड़वी जुबान से राऊत ने यह भी कहा कि औरंगजेब का जन्म गुजरात में हुआ था. उसका कुछ अंश दिखाई दे रहा है. मोदी और शाह को निशाने पर लेते हुए राऊत ने कहा कि औरंगजेब गया, ये दोनों भी जानेवाले हैं.’’ 

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राजनीति में रहने पर ऐसी बातें सुननी पड़ती हैं. पॉलिटिक्स में जान है तो मोटी चमड़ी रखो. पहले पक्ष-विपक्ष दोनों के नेता मर्यादा रखते थे. आलोचना में संयम रखते थे. कांग्रेस के प्रधानमंत्री राज्यों के चुनाव में बार-बार रैलियां और रोड शो करने नहीं जाते थे. विपक्ष शासित राज्यों के छोटे नेताओं के मुंह नहीं लगते थे और अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखते थे. अब कट थ्रोट या बालाकाटू, राजनीति हो गई है. 

बीजेपी नेतृत्व कांग्रेस मुक्त भारत की बात करता है. वह देश के विपक्ष का अस्तित्व ही नहीं चाहता जो कि लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है. एक समय था जब समाजवादी नेता डा. राममनोहर लोहिया चुनाव हार जाते थे तब नेहरू यह सुनिश्चित करते थे कि लोहिया किसी उपचुनाव में निर्वाचित होकर लोकसभा में वापस आ जाएं. अपने विरोधी के प्रति भी वे इतनी सहिष्णुता रखते थे.’’ 

हमने कहा, ‘‘आज की राजनीति पार्टियों की दुश्मनी में बदल गई है. अब सत्ता पक्ष के शीर्ष नेता राज्यों के गली-कूचे में भी उतरकर प्रचार करने के लिए तत्पर हैं. विपक्ष शासित राज्य में बार-बार जाकर रैलियां करते हैं. जब ये नेता कीचड़ में पत्थर फेकेंगे तो छींटे उड़ेंगे ही! दो के बदले चार बातें सुननी ही पड़ेगी. इससे राजनीति का छिछलापन सामने आता है तो आता रहे! चिंता किसे है!’’