कभी नारा लगाते थे ‘जिंदाबाद’, बाल दिवस पर आई ‘चाचा’ की याद

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज हमें 14 नवंबर को चाचा की बहुत याद आई. हमारा व्याकुल मन बार-बार प्रेरित कर रहा था कि मकान की छत  पर जाकर जोर से ‘चाचा जिंदाबाद’ का नारा लगाएं. हम बहुत भावुक हो गए थे. दिल में गीत गूंज रहा था- मन का इमोशन जाने रे.’’

हमने कहा, ‘‘भावुक नहीं, प्रेक्टिकल बनिए. आप चाचा की बजाय दादा, नाना, मामा, मौसा, फूफा किसी को भी याद कर सकते थे. हिंदुस्तान में रिश्ते ही रिश्ते हैं फिर भी आजकल के बच्चे किसी पुरुष को अंकल और महिला को आंटी पुकार कर काम चला लेते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारी आंखों के सामने चाचा की शानदार, हैंडसम छवि उभर कर आती है. चाचा की शेरवानी, बटनहोल में लगा लाल गुलाब का फूल, उनकी मुस्कुराहट याद आती है. हम अतीत की स्मृतियों में डूबने-उतरने लगे हैं. आप समझ ही गए होंगे क िहम चाचा नेहरू की बात कर रहे हैं. उनके जन्मदिन 14 नवंबर को समूचे भारत में बाल दिवस मनाया जाता था. स्कूलों में बच्चों को मिठाई बांटी जाती थी फिर छुट्टी हो जाती थी. हमारे शिक्षक स्वाधीनता आंदोलन में चाचा के महान योगदान की चर्चा करते थे फिर फिल्म ‘जागृति’ का गीत बजता था- फूलों की सेज छोड़कर दौड़े जवाहरलाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल.’’

हमने कहा, ‘‘आपको शर्म नहीं आती! मोदी युग में नेहरू को याद करने की गुस्ताखी कर रहे हैं. भूल जाइए पुरानी बातें! भाजपा का भजन कीजिए. नियमित रूप से श्रद्धापूर्वक मोदी के मन की बात सुनिए.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, क्या भूलूं, क्या याद करूं! चाचा नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता थे. देश को स्टील प्लांट, बड़े बांध, परमाणु शक्ति आयोग, प्लानिंग कमीशन, गुटनिरपेक्षता, मजबूत संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली उन्होंने ही दी थी. चाचा नेहरू लगातार 17 वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे जिनका रिकार्ड आज तक कोई तोड़ नहीं पाया.’’

हमने कहा, ‘‘समय के साथ चलने में अक्लमंदी है. अपने मनमंदिर में मोदी-शाह की छवि अंकित कीजिए. चाचा की इतनी याद आ रही है तो आप पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम उर्फ ‘कलाम चाचा’ को याद कीजिए जिनकी विंग्स आफ फायर और फोर्ज योर फ्यूचर जैसी किताबें अत्यंत प्रेरणादायी हैं.’’