क्या मोदी ने गिराई थी कमलनाथ सरकार आखिर विजयवर्गीय के मुंह से निकला सच

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नेताओं के मुंह से कभी जोश-जोश में बोलते हुए सच निकल ही जाता है. अंदर की जिन गोपनीय बातों को सार्वजनिक रूप से नहीं बताना चाहिए, उन्हें भी वे जाहिर कर देते हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने इंदौर में आयोजित किसान सम्मेलन में कह दिया कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ की कांग्रेसी सरकार गिराने के पीछे धर्मेंद्र प्रधान की नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) की भूमिका थी. इस सनसनीखेज बयान के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि क्या पीएम मोदी बताएंगे कि मध्यप्रदेश सरकार गिराने में उनका हाथ था? विवाद के बाद विजयवर्गीय ने सफाई दी कि यह बात उन्होंने हल्के-फुल्के मजाकिया लहजे में कही थी.

वैसे कौन नहीं जानता कि राजनीति में सत्ता की खींचतान चलती ही रहती है और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी हमेशा विपक्ष शासित दलों की राज्य सरकारें गिराने के लिए मौके की ताक में रहती है. जब अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने कहा था कि वे कांग्रेस मुक्त भारत देखना चाहते हैं. तब यह बात कितने ही लोगों को बिल्कुल नहीं जंची थी. लोकतंत्र में विपक्षी दल का अस्तित्व रहना ही चाहिए अन्यथा वह लोकतंत्र न होकर तानाशाही बन जाएगा. विपक्षी पार्टी द्वारा शासित राज्य की सरकार यदि किसी प्रकार अल्पमत में आती है तो उसका गिरना निश्चित हो जाता है. यही हाल कमलनाथ की सरकार का हुआ. ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की बगावत और बीजेपी में शामिल हो जाने से कमलनाथ का यह हश्र होना ही था. कांग्रेस सरकार 2 माह भी नहीं टिक पाई और शिवराजसिंह चौहान को पुन: मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ. बाद में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी कांग्रेस ने मुंह की खाई.

बड़े नेताओं की सहमति बगैर पत्ता नहीं हिलता

क्या विजयवर्गीय का आशय यह है कि मोदी की प्रेरणा से सिंधिया ने बगावत की? सामान्यत: बड़े नेता तभी सहमति देते हैं जब निचले स्तर पर राजनीतिक उलटफेर की पक्की तैयारी कर ली जाती है. निश्चित रूप से बीजेपी में मोदी-शाह की जोड़ी सटीक रणनीति बनाती आई है. विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश का हाथ से निकल जाना बीजेपी के लिए काफी अखरने वाली बात थी. अनुभवी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रदेश में काम भी अच्छा किया था तथा लोककल्याण की विविध योजनाएं चलाई थीं. कमलनाथ सरकार का कोई खास बहुमत नहीं था, वह बसपा विधायकों के समर्थन पर टिकी थी. कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा की और उनकी ताकत को कम आंका. यही गलती उन्हें ले डूबी. जब कांग्रेस ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी तो बीजेपी उसका लाभ क्यों नहीं उठाती? उसे पुन: इस महत्वपूर्ण हिंदी प्रदेश की सत्ता संभालने का मौका मिला.

पीएम का नाम लेकर मजाक थोड़े ही करेंगे

कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के सीनियर नेता हैं जिन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा उन्हें बंगाल के लिए भी पार्टी प्रभारी बनाया गया जहां अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. अनुशासनप्रिय पार्टी का ऐसा जिम्मेदार नेता प्रधानमंत्री का नाम लेकर मजाक थोड़े ही करेगा! उन्होंने कार्यकर्ताओं की गलतफहमी दूर कर दी जो मान रहे थे कि धर्मेंद्र प्रधान के प्रयासों से कमलनाथ की सरकार गिरी. विजयवर्गीय ने बता दिया कि यह कार्रवाई सीधे पीएम के इशारे से हुई. बड़े लोग ही बड़े काम को अंजाम देते हैं. उनका इशारा ही काफी होता है. अब बंगाल में बीजेपी जोर लगा रही है. वहां भी ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार को कानून-व्यवस्था भंग होने के मुद्दे पर बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने जैसा कोई फैसला यदि लिया जाएगा तो उसे मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ही सोच-समझकर लेंगे. केंद्रीय नेतृत्व की मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता.