जब सब कुछ शुरू तो संसद सत्र क्यों नहीं?

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केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना संकट (COVID-19 Pandemic) की आड़ लेकर संसद का शीत सत्र रद्द (Parliament winter session) कर दिया जबकि संवैधानिक निर्देश है कि संसद का सत्र हर 6 महीने में आयोजित किया जाए. मानसून अधिवेशन के बाद शीत सत्र और फिर बजट सत्र (Budget session) की परंपरा रही है. ऐसे मौके पर, जब किसान आंदोलन का ज्वलंत प्रश्न सामने है और अर्थव्यवस्था (Economy) के मोर्चे पर चुनौतियां बरकरार हैं, तब सरकार शीत सत्र आयोजित करने से पलायन कर रही है. यह किस तरह का एकपक्षीय निर्णय है? सत्र नहीं लेने के बारे में विपक्ष की राय तक नहीं ली गई. इसे सरकार का अहंकारी और मनमाना रवैया ही माना जाएगा. कोरोना के बावजूद बिहार में विधानसभा चुनाव हुए, मध्यप्रदेश में 28 सीटों के विधानसभा उपचुनाव हुए.

कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव चल ही रहे हैं तो संसद का संक्षिप्त शीतकालीन सत्र क्यों नहीं हो सकता था? केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी खुद देश में 700 चौपालें कर रही है. देश के उद्योगों में मैन्युफैक्चरिंग जारी है. मीडिया पूरी तरह कार्यरत बना हुआ है. इसी दौरान नीट, जेईई व यूपीएससी की परीक्षाएं हो चुकी हैं. देश रुक तो नहीं गया, फिर संसद सत्र क्यों नहीं लिया जा रहा? शायद सरकार विपक्ष को बोलने का मौका ही नहीं देना चाहती. प्रधानमंत्री मोदी समय-समय पर अपने मन की बात कह देते हैं, फिर संसद सत्र की जरूरत ही क्या है? लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष व संसदीय कार्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी कि किसान बिलों के मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. किसान भीषण सर्दी में खुले आसमान के नीचे आंदोलन कर रहे हैं.

उनके पत्र के जवाब में केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रल्हाद जोशी  (Pralhad Joshi) ने कहा कि सर्दियों का महीना कोरोना प्रबंधन के लिहाज से अहम है. इस दौरान कोरोना केसों में वृद्धि हुई है. खासकर दिल्ली में समस्या ज्यादा है. इस वर्ष कोरोना के कारण मानसून सत्र बुलाने में देरी हुई थी. अब जनवरी में बजट सत्र लिया जाएगा. जोशी ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क किया गया था. सभी ने महामारी के कारण शीत सत्र से बचने की सलाह दी थी. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्र के बारे में न तो अधीर रंजन से और न राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से सरकार की कोई चर्चा हुई. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि कोरोना के पीछे छिपकर सरकार संसद में जवाबदेही से बचना चाहती है. वह संसद के महत्व को कम कर रही है. जब संसदीय समितियों की बैठक हो रही है तो संसद का सत्र कराने से सरकार क्यों कतरा रही है?