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    नई दिल्ली. आज देश के बेहतरीन और हरफनमौला खिलाड़ी और भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े ऑलराउंडर कपिल देव (Kapil Dev) का 63वां जन्मदिन (Birthday) है। जी हाँ आज ही के दिन 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में उनका जन्म हुआ था। हर भारतीय को पता हो कि कपिल की साहसिक कप्तानी में भारत ने 1983 का वर्ल्ड कप (1983 World Cup Winner Captain) भी जीता था। कपिल ने उस मिथक  को तोड़ा कि भारत से तेज गेंदबाज कभी नहीं आ सकते।

    कपिल के आंकड़े भी रहे बेमिसाल

    अगर आंकड़ों को देखें तो कपिल देव ने अपने टेस्ट करियर में 5248 रन बनाए और 434 विकेट लिए थे। साथ ही वह अब तक अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 5000 रन और 400 विकेट का आंकड़ा पार किया है। इसके साथ ही कपिल ने 225 वनडे मैचों में 3783 रन बनाए और 253 विकेट भी लिए थे।

    यूँ बने देश के तेज गेंदबाज

    जब कपिल सिर्फ 15 साल के थे तो उन्हें मुंबई में एक ट्रेनिंग कैंप में भेजा गया। कैंप भारत के उभरते क्रिकेट सितारों के प्रशिक्षण के लिए लगाया गया  था। पहले दिन उन्हें खाने में दो रोटी और एक सूखी सब्जी ही मिली। यह देख कपिल दुखी हो कैंप मैनेजर के.के तारापुर के कमरे में पहुंचे। उन्होंने  तारापुर से कहा कि इस खाने से उनका काम नहीं चलेगा। 

    तब तारापुर जोर से हँसे और बोले कि,” एक दिन पहले ही तुम आए हो, तुम शिकायत करने लगे…यूनियन बना ली और इसके लीडर भी बन गए। बताओ क्या दिक्कत है।” कपिल देव ने कहा कि, “सर मैं फास्ट बॉलर हूं और दो रोटी से मेरा काम कतई नहीं चलेगा।” इस पर तारापुर ने उन पर कटाक्ष  करते हुए कहा कि, “रोटी तो तुम्हें और मिल जाएगी लेकिन एक बात समझ लो कि भारत में 40 साल में कोई फास्ट बॉलर पैदा नहीं हुआ है।” यह सुन कपिल के आंखों में आंसू आ गए और उसी समय उन्होंने तय कर लिया कि वह बनेंगे तो अब भारत के सबसे तेज गेंदबाज ही बनेंगे।

    हरियाणा के लिए खेला था घरेलू क्रिकेट

    वहीं अगर महान बल्लेबाज सुनील गावसकर की नजरों से देखा जाए तो कपिल देव भारतीय क्रिकेट का पहला स्मॉल टाउन हीरो हैं। कपिल ने आजीवन हरियाणा के लिए घरेलू ही क्रिकेट खेला। इसके अलावा वह इंग्लिश काउंटी वॉस्टरशर और नॉर्थहैम्पटनशर के लिए भी क्रिकेट खेले थे।

    फिटनेस का नहीं था कोई जवाब 

    जी हाँ, कपिल देव बहुत फिट खिलाड़ी थे। वहीं विकेटों के बीच दौड़ लगाने में भी उनका कोई भी सानी नहीं था। गौर करने लायक बात यह भी है कि अपने करियर की 184 पारियों में वह कभी रन आउट नहीं हुए। वहीं अगर 1984-1985 में इंग्लैंड के खिलाफ अनुशासात्मक कार्रवाही के चलते उन्हें टेस्ट मैच से ड्रॉप नहीं किया गया होता, तो उनके टेस्ट करियर में लगातार 132 टेस्ट मैच भी खेले होते। खैर वह कहानी फिर कभी… लेकिन वाकई ‘कपिल दा जवाब नहीं ‘।