Nice to see athletics getting attention Neeraj Chopra

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नयी दिल्ली: ‘‘बचपन में अखबार में अपना नाम या फोटो देखकर मुझे बड़ी खुशी मिलती थी और मुझे लगता है कि हर खिलाड़ी की सफलता की एक कहानी होती है जिसे सबके सामने लाना जरूरी है ताकि उसका आत्मविश्वास बढे।” यह कहना है तोक्यो ओलंपिक भाला फेंक चैम्पियन नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) का।

पिछले सप्ताह डायमंड लीग का लुसाने चरण जीतकर वापसी करने वाले भारतीय एथलेटिक्स के ‘पोस्टर ब्वॉय’ ने लुसाने से वर्चुअल बातचीत में कहा ,‘‘ मुझे यह देखकर अच्छा लगता है कि एथलेटिक्स को लोग समझने लगे हैं। एथलेटिक्स स्पर्धाओं को मीडिया में जगह मिल रही है। मैं चाहता हूं कि हर एथलीट की सफलता की कहानी लोगों तक पहुंचे ताकि दूसरों को प्रेरणा मिले और उनका आत्मविश्वास भी बढे।”

उन्होंने कहा ,‘‘ बचपन में जब मेरा नाम या तस्वीर अखबार में छपती थी तो मुझे बहुत खुशी होती थी। हर खिलाड़ी को होती है। भारतीय एथलेटिक्स का ग्राफ भी अब ऊपर की ओर बढता जा रहा है और हम विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों के बीच खड़े होने का दम रखते हैं।” उन्होंने लुसाने में लंबीकूद में पांचवें स्थान पर रहे मुरली श्रीशंकर का उदाहरण देते हुए कहा ,‘‘ लुसाने में श्रीशंकर पांचवें स्थान पर रहा। वहां लंबीकूद की स्पर्धा कठिन मौसम के कारण काफी चुनौतीपूर्ण रही लेकिन मुकाबले के बाद उसकी मानसिकता काफी सकारात्मक थी और यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।”

युवा एथलीटों के लिये ‘मेंटोर’ या ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभा रहे चोपड़ा ने कहा ,‘‘मैं अपना अनुभव बांटने की कोशिश करता हूं और बदले में इन सभी से कुछ न कुछ सीखता हूं । हमारी साझा कोशिश भारतीय एथलेटिक्स को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की है।” उन्होंने अभ्यास को संजीदगी से लेने को अपना फलसफा बताते हुए कहा ,‘‘ बचपन में भी जब मैं अभ्यास से छुट्टी ले लेता था तो बाद में काफी पछतावा होता। यह आदत तब से बनी हुई है कि चाहे कुछ हो जाये, ट्रेनिंग नहीं छोड़नी है। अपने काम को गंभीरता से नहीं लेंगे तो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे।”

उन्होंने कहा ,‘‘ तोक्यो ओलंपिक के बाद मैने गलती की थी कि ब्रेक काफी लंबा हो गया था। इससे फिटनेस खराब हुई और वजन भी बढ गया लेकिन अब इसे दोहराना नहीं है।” लगातार कड़े अभ्यास और टूर्नामेंटों के बीच मन बहलाने के लिये कभी कभार वह फिल्में देख लेते हैं या स्थानीय जगहों पर घूमना पसंद करते हैं।

उन्होंने कहा ,‘‘ विदेश में तो अकेले अभ्यास करता हूं तो कोई और गेम नहीं खेल पाता जैसे पटियाला में वॉलीबॉल खेलता था। यहां फिल्म देख लेता हूं और हाल ही में क्रिस हेम्सवर्थ की एक्स्ट्रेक्शन टू देखी है। इसके अलावा जहां रहता हूं, वहां की मशहूर जगहें देखने या किसी रेस्त्रां में चला जाता हूं।” (एजेंसी)