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दिल्ली: अगर पटाखा संबंधी सख्त प्रतिबंधों पर अमल किया गया तो रविवार और सोमवार को दिवाली के दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ वर्ष में सबसे बेहतर रह सकती है। दिल्ली के लोगो को खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल सकता है। साफ आसमान और खिली धूप के साथ शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह सात बजे 202 रहा, जो कम से कम तीन सप्ताह में सबसे अच्छा है। 
 
एक्यूआई को कैसे समझे 
  • 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’, 
  • 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 
  • 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 
  • 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 
  • 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ 
  • 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। 
 
दिल्ली के लिए अच्छी खबर 
एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। एक दिन पहले यानी शनिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 220 था, जो आठ वर्षों में दिवाली से एक दिन पहले सबसे कम रहा। इस बार, दिवाली से ठीक पहले दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में तेज सुधार देखा गया। इसकी सबसे बड़ी वजह शुक्रवार को रुक-रुक हुई बारिश और प्रदूषकों को उड़ा ले जाने के लिहाज से अनुकूल हवा की गति का होना है। 
 
 
हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’
जबकि, बृहस्पतिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 437 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था। शहर में 28 अक्टूबर से दो सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ तक रही और इस अवधि के दौरान राजधानी में दमघोंटू धुंध छाई रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पहले ही पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण हल्की बारिश सहित अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण दिवाली से ठीक पहले हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार का पूर्वानुमान जताया था। 
 
पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध 
पश्चिमी विक्षोभ के कारण पंजाब और हरियाणा सहित उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश हुई, जिससे दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के जलाने से निकलने वाले धुएं का योगदान कम हो गया। आईएमडी के एक अधिकारी ने पूर्व में बताया था कि एक बार जब पश्चिमी विक्षोभ गुजर जाएगा, तो 11 नवंबर (शनिवार) को हवा की गति लगभग 15 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ जाएगी, जिससे दिवाली (12 नवंबर) से पहले प्रदूषक तत्वों के प्रसार में मदद मिलेगी। पिछले तीन वर्षों के रुझान के देखते हुए दिल्ली ने राजधानी शहर के भीतर पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है। 
 
वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण
हालांकि, शनिवार रात राजधानी के कई हिस्सों में पटाखे जलाने की कई घटनाएं सामने आईं। कम तापमान और पटाखे जलाने से रविवार रात दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने वाले ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 38 प्रतिशत प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से निकला धुआं जिम्मेदार था। शहर में प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने की घटनाओं का योगदान बृहस्पतिवार को 33 प्रतिशत, जबकि शुक्रवार को 17 प्रतिशत रहा था। आंकड़ों में परिवहन को भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बताया गया है, जो दिल्ली की खराब होती हवा में 12 से 14 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। 
 
वर्षा के कारण शहर की वायु गुणवत्ता बहुत सुधर गई
नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक विनय कुमार सहगल ने अनुमान जताया कि बारिश के बाद नमी की स्थिति के कारण दिवाली के आसपास पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने सम-विषम योजना फिलहाल स्थगित कर दी है, क्योंकि वर्षा के कारण शहर की वायु गुणवत्ता बहुत सुधर गई है। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता की समीक्षा करेगी और यदि प्रदूषण स्तर बहुत बढ़ जाता है, तो सम-विषम योजना पर निर्णय लिया जा सकता है। 
 
सम- विषम योजना एक दिखावा  
राय ने पहले कहा था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सम-विषम कार योजना की प्रभावशीलता की समीक्षा करने और उसकी ओर से आदेश जारी करने के बाद शहर में यह योजना लागू की जाएगी। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया था और इसे ‘दिखावा’ बताया था। चिकित्सकों ने कहा है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना प्रतिदिन 10 सिगरेट पीने के हानिकारक दुष्प्रभाव के बराबर है। 
 
पराली जलाने की घटना बढ़ी 
दिल्ली-एनसीआर के लिए वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ‘क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना’ (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप) के अंतिम चरण के तहत जरूरी सभी सख्त पाबंदियों को भी दिल्ली में लागू किया गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार, शहर में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण का स्तर चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।