नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) से मोरबी पुल ढहने की घटना से संबंधित जांच और अन्य पहलुओं की समय-समय पर निगरानी करने को कहा। इस घटना में 140 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (Chief Justice D.Y. Chandrachud) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और कई आदेश पारित किए हैं, ऐसे में फिलहाल वह याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगी।
उसने हालांकि एक जनहित याचिकाकर्ता और हादसे में अपने दो परिजनों को खोने वाले एक अन्य वादी को स्वतंत्र सीबीआई जांच, पर्याप्त मुआवजा संबंधी याचिकाओं के साथ उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता बाद में उसका रुख कर सकते हैं। मोरबी में माच्छु नदी पर बना ब्रिटिश काल का पुल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 140 से अधिक लोग मारे गए थे।
हादसे के पांच दिनों बाद बचाव अभियान को समाप्त कर दिया गया है। तो वहीं मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला को निलंबित कर दिया गया। पुल टूटने के अगले दिन 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जिसमें पुल की मरम्मत का ठेका पाने वाली कंपनी ओरेवा के दो मैनेजर, दो टिकट क्लर्क के साथ दो ठेकेदार और तीन सुरक्षा गार्ड शामिल थे। इस मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था।