Congress Akshay Bomb the Lok Sabha candidate from Indore
अक्षय बम (Photo Credit: Social Media)

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इंदौर : पिछले 35 साल से इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok Sabha Seat) पर जीत की बाट जोह रही कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मजबूत गढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र में एकदम नये-नवेले चेहरे अक्षय बम (45) (Akshay Bomb) को अपना उम्मीदवार बनाया है। बम ने अपने राजनीतिक करियर में अब तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें इंदौर से ऐसे वक्त उम्मीदवार बनाया गया है, जब जिले में कांग्रेस के तीन पूर्व विधायकों समेत पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इंदौर सीट पर बम की मुख्य चुनावी भिड़ंत भाजपा के निवर्तमान सांसद शंकर लालवानी (62) से होनी है। लालवानी, इंदौर नगर निगम के सभापति और इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

मतदाताओं की तादाद के लिहाज से प्रदेश में सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्र इंदौर में 25.13 लाख लोगों को मताधिकार हासिल है जहां भाजपा ने इस बार आठ लाख मतों के अंतर से जीत का नारा दिया है। बम ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद रविवार को “पीटीआई-भाषा” से कहा,”बेरोजगारी और महंगाई के कारण इस बार चुनावी हालात एकदम अलग हैं। हम इंदौर में भाजपा का गढ़ भेदने के लिए मैदान में उतरेंगे।” बम पेशे से कारोबारी हैं और उनका परिवार शहर में निजी महाविद्यालयों का संचालन करता है। वह जैन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इस समुदाय के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में करीब दो लाख मतदाता हैं।

बम ने कहा कि अपने चुनाव अभियान में वह महिलाओं और बेरोजगारों के मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा,”सत्तारूढ़ भाजपा ने इंदौर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने का वादा नहीं निभाया है। इससे लोग बेहद परेशान हैं।” बम ने दावा किया कि प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं और इस शहर का देश के अन्य इलाकों से हवाई और रेल संपर्क कम है।

बम ने 2023 के विधानसभा चुनावों में इंदौर-4 सीट से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया था। इंदौर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का गृह क्षेत्र है। भाजपा की प्रदेश इकाई के सह मीडिया प्रभारी दीपक जैन ने कहा,‘‘बम जैसे नौसिखिये नेता को इंदौर से उम्मीदवार बनाया जाना दिखाता है कि कांग्रेस के पास उम्मीदवारों का घोर संकट है। उन्हें मजबूरी में उम्मीदवार बनाया गया है। इंदौर से खुद पटवारी को चुनाव लड़ना चाहिए था।”

भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन 1989 में इंदौर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ी थीं। तब उन्होंने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रकाश चंद्र सेठी को हराकर कांग्रेस का गढ़ भेद दिया था। “ताई” के उपनाम से मशहूर महाजन ने इंदौर से 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीते थे, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के नीतिगत निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने वक्त की नजाकत भांपते हुए 2019 में खुद घोषणा की थी कि वह चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी। इसके बाद भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में शंकर लालवानी को इंदौर से टिकट दिया था। सिंधी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.47 लाख वोट से हराया था और इस सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा था। इंदौर लोकसभा क्षेत्र में सिंधी समुदाय के लगभग 1.25 लाख मतदाता हैं। (एजेंसी)