Water Crisis
File Photo

    Loading

    चिखलदरा. जून माह में तहसील में औसतन 112.7 मिलमीटर बारिश होने के बावजूद कई गांव जलसंकट से जूझ रहे है. यह भयावह स्थिति तहसील में घटांके के पास स्थित भुलोरी गांव की भी है. इस गांव के लोगों को गर्मी में 3 महीने तक आधा किलोमीटर दूर हैंडपंप से पानी लाना पड़ता है. पानी के एक घड़े के लिए लोग दिन-रात भटकते है. यह हाल जून माह में भी कायम है. 

    ग्रीष्मकाल में होती है भीषण स्थिति

    मेलघाट का जलसंकट दिन ब दिन रौद्ररुप धारण कर रहा है. पहले केवल ग्रीष्मकाल में यह महसूस होता था, लेकिन अब बारिश के दिनों में लोगों को पेयजल के लिए जूझना पड रहा है. जिला प्रशासन यहां लोगों की प्यास बुझाने में नाकाम रहा है. कुएं और हैंडपंप सहित अन्य जल स्रोतों से पीने योग्य पानी प्राप्त करने के लिए महिलाएं अपने सिर पर बर्तन लेकर दिन भर पानी भरती हैं. इसमें पुरुष के साथ-साथ छोटे बच्चे भी शामिल हैं. 

    शहर का रुख कर रहे लोग

    गांव में पर्याप्त पानी नहीं होने से अनेक लोग शहर स्थानांतरित होने का विकल्प चुन रहे है. ग्रामीण क्षेत्रों में जिन किसानों के पास जानवर हैं, उन्हें अपने साथ मवेशियों की प्यास बुझाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है. सूखे को कम करने के लिए महज कागजी कार्रवाई के उपायों को लागू करने की बताए ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन से काम करने की मांग की जा रही है.

    प्रशासन करने पहल

    आधार फाऊंडेशन के पदाधिकारियों ने गांव में प्रत्यक्ष पहुंचकर जलसंकट की यह समस्या नजदिक से देखी है. पिछले चार साल में पहली बार पानी का संकट इतना गंभीर हुआ है. घर में सभी को अपना काम छोड़कर पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. गांवों और खेतों को अब टैंकर के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है. टैंकर के पानी से जिले के डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की प्यास बुझाई जा रही है. 710 टैंकरों से प्यासे गांवों और खेतों में पानी पहुंचाया जा रहा है. यह पिछले चार वर्षों में टैंकरों की सबसे अधिक संख्या है. वर्ष 2012 में जिले में 707 टैंकर से जलापूर्ति की गई थी. भुलोरी गांव की यह पेयजल समस्या जिला परिषद प्रशासन के जलापूर्ति विभाग ने गंभीरता से लेकर सुलझाने की मांग आधार फाऊंडेशन ने की है.