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प्रतीकात्मक तस्वीर

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अमरावती. चुनावी दौर में उम्मीदवारों व्दारा प्रचार व विविध कार्य के लिए किए गए खर्च पर चुनाव आयोग की नजर होती है. नामांकन दायर करने से लेकर नतीजे घोषित होने तक किया गया खर्च चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी है. ऐसे में वर्ष 2019 के मुकाबले इस वर्ष खर्च में 12 फीसद बढ़ोतरी की गई है. उम्मीदवार अब 95 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे.

खान-पान से लेकर चुनाव सामग्री का समावेश

चुनाव आयोग ने विविध काम पर खर्च की जाने वाली रकम की सीमा तय की. खान-पान से लेकर चुनाव साहित्य की खरीदी का समावेश है जिसका ब्यौरा चुनाव आयोग ने जारी किया. विगत लोकसभा चुनाव के खर्च के मुकाबले इस बार खर्च की सीमा 12 फीसदी से बढ़ा दी गई. शाकाहारी भोजन करने पर 112 रुपये व मांसाहारी पर 224 रुपये तय किए गए. चाय, कॉफी, लस्सी, शीतपेय, नाश्ते की दरें भी बढ़ा दी गई.

पिछले चुनाव में खर्च की सीमा थी 75 लाख

चुनाव के दौर में उम्मीदवारों व्दारा बड़े पैमाने पर खर्च किया जाता है. कार्यकर्ता संभालने से लेकर प्रचार यंत्रणा चलाने तक उम्मीदवार दोनों हाथों से खर्च करते हैं. चुनाव केवल पैसे के बल पर न हो इसीलिए उम्मीदवारों को खर्च की मर्यादा तय की गई. राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधियों से चर्चा कर हर चीज की दर निश्चित की गई. वर्ष 2019 की लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को खर्च की मर्यादा 75 लाख थी. इस बार इस खर्च में बढ़ोतरी कर 95 लाख रुपये कर दिया गया.

प्रत्याशियों के लिए खर्च की दरें

शाकाहारी भोजन 112 रु.

मांसाहारी भोजन 224 रु.

चाय 7.84 रु.

कॉफी 13.44 रु.

लस्सी 22.4  रु.

शीतपेय 22.4  रु.

स्नैक्स 28 रु.

वाहन चालक 504 रु.

गांधी टोपी 5.37 रु.

ढोल-ताशे 2,688 रु.

ट्रक किराया 5,600 रु.

कार 2,800 रु.

दुपहिया 201.6 रु.

साइकिल 67.2 रु.