stork birds

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    अमरावती.  शहर के वडाली क्षेत्र के बांबू गार्डन में पहली बार यूरोपियन पक्षी ग्रीन वार्बलर देखा गया है. पक्षी निरीक्षक प्रशांत निकम, शुभम गिरी, संकेत राजुरकर और आनंद मोहोड़ के दल ने इस दुर्लभ पक्षी की खोज की. शहर समेत जिले में यूरोपीय ग्रीन वार्बलर पक्षी पाए जाने का यह पहला ही रिकार्ड है. जिससे स्थानीय पक्षी मित्रों में हर्ष की लहर है.

    शीतकालीन आगंतुक पक्षी रिकार्ड करने में सफलता

     हालांकि विभिन्न पक्षी कई कारणों से प्रवास करते हैं. लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में इन पक्षियों के बड़े पैमाने पर शीतकालीन प्रवास को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए यह अवधि पक्षी निरीक्षक तथा वाईल्ड फोटोग्राफरों के लिए वरदान रहता है. हाल ही में 2 अक्टूबर को शहर के बांबू गार्डन में पक्षियों का अवलोकन करते हुए, उपरोक्त पक्षी निरीक्षकों ने अंग्रेजी नाम से जाने जाने वाले ग्रीन वार्बलर के साथ शीतकालीन आगंतुक पक्षी को रिकॉर्ड करने में सफलता प्राप्त की है.

    इस पक्षी का एक शास्त्रीय नाम ‘फाइलोस्कोपस नाइटिडस’ है और अभी तक इसका मराठी नाम उपलब्ध नहीं है, जो इस पक्षी की दुर्लभता को दर्शाता है.  इस पक्षी को पहले ग्रीन वीच वार्बलर के नाम से जाना जाता था. लेकिन 2006 और 2008 के बीच किए गए शोध से पता चला है कि यह पक्षी ग्रीन वीच वार्बलर से बिल्कुल अलग है. 

    हरा व नारंगी रंग करता है आकर्षित 

    मूल रूप से दक्षिणपूर्वी यूरोप के मूल निवासी यह पक्षि सभी पक्षियों की तरह पेड़ों के घने में सूक्ष्म जीवों, कीड़े, लार्वा, या इसी तरह के भोजन की तलाश में बेहद अस्थिर और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इसकी लंबाई आमतौर पर 10 से 11 सेमी होती है. यह सर्दियों में मुख्य रूप से दक्षिणी भारत और श्रीलंका की ओर पलायन करता है. इस पक्षी की विशिष्ट विशेषताएं हैं.

    इसके हरे रंग के पंखों पर दो सफेद धारियां, स्पष्ट और लंबी भौहें, पीला चेहरा और निचली चोंच का थोड़ा पीला नारंगी रंग, पंख पर दो सफेद धारियों में से एक बहुत अस्पष्ट रहता है. जिससे अक्सर दूसरा पट्टा नजरों से ओझल हो जाता है. जिले में इस पक्षी का यह पहला रिकार्ड है. जिससे जिले में इस पक्षी की इस पहली प्रविष्टि ने अमरावती की पक्षी सूची में शामिल कर लिया है और पक्षी प्रेमियों में उत्साह का वातावरण है.