yashomati thakur
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अमरावती. उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने एनसीपी विधायक और पूर्व मंत्री नवाब मलिक को लेकर एक पत्र जारी किया है. इस पत्र के जरिए कहा गया है कि देशद्रोह के आरोप के चलते नवाब मलिक को महागठबंधन में शामिल नहीं किया जाएगा. दरअसल ये एनसीपी कांग्रेस को तमाचा है. यह एनसीपी और उसके नेताओं की औकात दिखाने की कोशिश है.

अगर फडणवीस सचमुच नवाब मलिक को अपने साथ नहीं रखना चाहते थे क्योंकि उन पर देशद्रोह का आरोप था तो उन्होंने उसी पार्टी के प्रफुल्ल पटेल को कैसे ले लिया? पटेल द्वारा खरीदी गई संपत्ति का संबंध किससे है? उसके पीछे क्यों थी केंद्रीय जांच एजेंसी? इसकी जानकारी भी फडणवीस को देनी चाहिए. पटेल के बारे में भी पत्र क्यों नहीं दिया गया. यह सवाल कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने उठाया है. वह नागपुर में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन पत्रकारों से बात करते समय बोल रही थीं.

सरकार को अधिवेशन में दिलचस्पी नहीं 

उन्होंने कहा कि इस सरकार को अधिवेशन में कोई दिलचस्पी नहीं है. मुझे नहीं लगता कि सरकार अधिवेशन की कार्रवाई को लेकर गंभीर है. एक दूसरे पर आरोप लगाने और बहस की राजनीति करने में फंसा हुआ है. ऐसा लगता है कि वे चाहते हैं कि लोग अपने बुनियादी मुद्दों को भूल जाए और इस व्यर्थ बहस में शामिल हो. यह सरकार आम जनता की समस्याओं के लिए कुछ नहीं करना चाहती, सरकार बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं दिखती.