BJP alleges, said - housing scheme failed due to negligence of foster minister, collector and departmental commissioner
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    औरंगाबाद : केंद्र (Center) की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा हर व्यक्ति को घर देने के लिए  प्रधानमंत्री आवास योजना (Prime Minister Housing Scheme) शुरु की गई। महाराष्ट्र के अन्य महानगरपालिका क्षेत्रों (Municipal Areas) में आवास योजना पूरी तरह कारगर साबित हुई है। लेकिन, औरंगाबाद के पालकमंत्री सुभाष देसाई (Subhash Desai), कलेक्टर सुनील चव्हाण (Collector Sunil Chavan), विभागीय आयुक्त सुनील केन्द्रेकर के लापरवाही और  आपसी खिंचतान के चलते आवास योजना के लिए शहर में जमीन जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिसके चलते यह योजना औरंगाबाद में नाकाम हुई है। यह आरोप भाजपा के पूर्व डिप्टी मेयर राजू शिंदे और शहर अध्यक्ष संजय केणेकर ने आयोजित  प्रेस वार्ता में लगाया।

    राजू शिंदे और केणेकर ने बताया कि 9 मार्च 2019 को राज्य के तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जिले के तत्कालीन कलेक्टर उदय चौधरी को पीएम आवास योजना के लिए सरकारी जमीन महानगरपालिका को उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। उस आदेश पर कलेक्टर द्वारा मिटमिटा परिसर में जमीन उपलब्ध कराई गई थी। महानगरपालिका ने यह जमीन अपने कब्जे में भी ली थी। इस जमीन पर महानगरपालिका का नाम भी 7/12 में लग चुका था। उसके बाद अक्टूबर 2019 में विभागीय आयुक्त सुनील केन्द्रेकर ने आवास योजना के लिए तय की हुई 20  हेक्टर जमीन सफारी पार्क को देने का निर्णय लिया। जिसके चलते वहां आवास योजना का प्रकल्प नहीं हो पाया।

    महानगरपालिका प्रशासन ने अन्य स्थान  निश्चित कर कलेक्टर को सौंपी थी सूची 

    मिटमिटा परिसर में आवास योजना के लिए तय की गई जमीन सफारी पार्क के लिए देने के बाद महानगरपालिका प्रशासन द्वारा शहर के आस-पास स्थित करीब 10 जमीनों की सूची जिला प्रशासन के पास आवास योजना पर अमलीजामा पहनाने के लिए सौंपी गई थी। जिसमें महानगरपालिका प्रशासन की सूची पर तिसगांव में आवास योजना के लिए जमीन देने का निर्णय लिया जाना था। इसी दरमियान 25 जनवरी 2021 में हुई जिला नियोजन समिति की बैठक में पालकमंत्री देसाई ने तिसगांव की  जमीन महानगरपालिका प्रशासन के कब्जे में देने के बजाए म्हाडा को देने के लिए आदेशित किया। उस आदेश पर आज तक प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। पालकमंत्री देसाई के  आदेश देकर 13 माह से अधिक का समय गुजरा है। आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही जिला प्रशासन द्वारा नहीं की गई।

    पालकमंत्री और कलेक्टर की निजी दिलचस्पी 

    पूर्व डिप्टी मेयर राजू शिंदे ने आरोप लगाया कि गत एक साल से आवास योजना के निर्माण के लिए किसी प्रकार की पहल न करने से यह साफ हो रहा है कि इस योजना में पालकमंत्री देसाई और कलेक्टर सुनील चव्हाण की निजी दिलचस्पी है। इसलिए वे जानबूझकर आवास योजना के लिए जमीन महानगरपालिका प्रशासन को देने में टालमटोल की नीति अपना रहे है। अब तक मेयर शिवसेना का था, उसके बाद दो साल से महानगरपालिका पर प्रशासक भी उनके द्वारा नियुक्त होने के बाद भी इस योजना को अमलीजामा पहनाने में अनेदखी करने को लेकर पूर्व डिप्टी मेयर राजू शिंदे तथा भाजपा शहराध्यक्ष संजय केणेकर ने कई सवाल उठाए। अंत में राजू शिंदे ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की उदासिनता के चलते इस योजना पर आज तक गरीब लोगों को शहर में घर नहीं मिल पाए है। भाजपा शहराध्यक्ष केणेकर ने बताया कि  पीएम आवास योजना सोलापुर, पुणे, नाशिक, नई मुंबई क्षेत्र में कामयाब हुई है। लेकिन, कलेक्टर चव्हाण, महानगरपालिका कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय और  विभागीय आयुक्त केन्द्रेकर के बीच जारी खिंचतान में यह योजना अधर में लटकी है। राजू शिंदे और केणेकर ने हाल ही में जिले के सांसद इम्तियाज जलील ने आवास योजना के नाकामी पर प्रेस वार्ता को लेकर उठाए सवालों पर खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि शहर में आवास योजना नाकाम होने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। इस पर जलील ने बयान देना चाहिए। प्रेस वार्ता में डॉ. राम बुधवंत, पूर्व नगरसेवक शिवाजी दांडगे उपस्थित थे।