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    औरंगाबाद : पिछले कुछ सालों से औरंगाबाद (Aurangabad) जिले में बैक फुट पर पहुंची कांग्रेस (Congress) को तगड़ा झटका तब लगा जब पार्टी के 300 पदाधिकारियों (Office Bearers) और कार्यकर्ताओं (Workers) ने औरंगाबाद का नामांतरण करने को लेकर अपना इस्तीफा (Resignation) सौंपा। ठाकरे सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित कांग्रेस के मंत्रियों ने हरी झंडी दिखायी। इससे गुस्साएं कांग्रेस के 300 से अधिक पदाधिकारी और  कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रुप से इस्तीफा दिया है। इससे कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं में खलबली मची है। 

    जिन नेताओं ने औरंगाबाद के नामांतरण को लेकर इस्तीफा दिया उनमें प्रमुख रुप से कांग्रेस शहर अध्यक्ष हिशाम उस्मानी, प्रवक्ता मोहसीन अहमद, अल्पसंख्यक विभाग के मराठवाड़ा अध्यक्ष हमद चाउस, शहागंज ब्लॉक अध्यक्ष सैयद हमीद, अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष मजहर पटेल, शहर जिला अध्यक्ष शेख अथर, युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव आमेर अब्दुल सलीम, प्रदेश सचिव इदरिस नवाब, मुजफ्फर पठाण, अखिल पटेल, मसरुर खान, मोईन इनामदार, हाजी मोईन कुरैशी, इरफान गुलाब खान, लियाकत पठाण, शेख शफिक सरकार, शोएब अब्दुल्ला शेख, इंजीनियर मोहसीन खान, अनिस पटेल, शेख सगीर, विधानसभा युवक अध्यक्ष शेख फैज सहित तीन सौ से अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दिया है। 

    थोरात ने माना हमने विरोध नहीं किया

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के तत्कालीन ठाकरे सरकार में शामिल पूर्व राजस्व मंत्री बालासाहाब थोरात ने मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए माना कि कांग्रेस ने नामांतरण का विरोध नहीं किया। इससे नाराज होकर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दिया है। इधर, शहर के पूर्व विरोधी पक्ष नेता अफसर खान ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। बता दे, राज्य की तत्कालीन ठाकरे सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशीव करने का लिए गए निर्णय के बाद मराठवाड़ा सहित पूरे मराठवाड़ा के अल्पसंख्यक समाज में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खिलाफ रोष है। 

    आगामी महानगरपालिका चुनाव में होगा बुरा असर 

    सालों से अल्पसंख्यक समुदाय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का वोट बैंक रहा है। परंतु, गत कुछ सालों से एमआईएम ने औरंगाबाद में जड़े जमाने के बावजूद बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से जुडा हुआ था। राज्य के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने नामांतरण के प्रस्ताव को मंजूरी देते समय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों ने इसका विरोध नहीं किया। इससे गुस्साएं कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने एक साथ मिलकर इतने बड़े पैमाने पर इस्तीफे दिए है। इसका असर जल्द होने वाले औरंगाबाद महानगरपालिका चुनाव में होने के आसार है।