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    औरंगाबाद : औरंगाबाद स्मार्ट सिटी (Aurangabad Smart City) के तत्कालीन सीईओ डॉ. निपुन विनायक ने शहर में घाटे में चलने वाली शहर बस सेवा को जिंदा रखने के लिए स्मार्ट सिटी के लिए सरकार (Govt) और महानगरपालिका (Municipal Corporation) के हिस्से जमा हुई निधि से 200 करोड़ रुपए की राशि एफडी की थी। इस एफडी (FD) को तोड़कर स्मार्ट सिटी प्रशासन (Smart City Administration) ने 5 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का कारनामा सामने आया है। शहर बस सेवा आगामी 10 साल तक सुचारू चलाने के लिए एफडी की गई 200 करोड़ की राशि खर्च करने को लेकर कई सवाल उभर रहे है। 

    देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों का आगमन होने के बाद औरंगाबाद स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ आस्तिक कुमार पांडे ने वहां कार्यरत अधिकारियों के लिए 5 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का निर्णय लिया। यह वाहन खरीदने के लिए तत्कालीन सीईओ डॉ. निपुन विनायक ने स्मार्ट सिटी के माध्यम से शहर में शुरू की गई शहर बस सेवा का घाटा भरकर निकालने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मिले निधि से 200 करोड़ की राशि फिक्स डिपॉजिट की थी। ताकि, इस रकम पर मिलने वाले ब्याज से शहर बस सेवा को होने वाला घाटा भरा जा सके। बल्कि, आगामी 10 सालों तक सिटी बस सेवा बिना किसी समस्याओं के चल सके। 

    2 करोड़ की एफडी तोड़कर लिए गए टाटा कंपनी के 5 इलेक्ट्रिक वाहन 

    स्मार्ट सिटी के सूत्रों ने बताया कि इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए स्मार्ट सिटी विभाग में किसी तरह का प्रयोजन नहीं था। इसके बाजवूद तत्कालीन सीईओ आस्तिक कुमार पांडे ने 200 करोड़ में से 2 करोड़ की एफडी तोड़ने का निर्णय लेकर टाटा कंपनी की 5 इलेक्ट्रिक कारें खरीदी। एफडी तोड़कर कार खरीदने की कोई जरुरत नहीं थी, परंतु प्रशासन ने अपने अधिकार का दुरुपयोग कर यह वाहन खरीदे। एफडी तोड़ने के बारे में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से जानकारी मांगने पर कई अधिकारी इससे कन्नी काट रहे है। जिसके चलते यह साफ हो रहा है कि स्मार्ट सिटी में गत दो सालों में बड़े पैमाने पर धांधलिया हुई है। उधर, स्मार्ट सिटी विभाग के सूत्रों ने बताया कि यहीं एफडी तोड़कर 35 इलेक्ट्रिक बसेस खरीदी की तैयारी शुरू की गई थी। उस पर वर्तमान सीईओ डॉ. अभिजीत चौधरी ने ब्रेक लगाया है। 

    दो करोड़ रुपए के हिसाब से एफडी की गई

    बता दे कि केंद्र सरकार ने औरंगाबाद शहर को सन 2016-17 में स्मार्ट सिटी प्रयोजना में शामिल किया था। स्मार्ट सिटी के माध्यम से 1 हजार करोड़ का निधि उपलब्ध हुआ। जिसमें 500 करोड़ केंद्र सरकार, 250 करोड़ राज्य सरकार और 250 करोड़ महानगरपालिका का हिस्सा डालना था। केंद्र और राज्य सरकार से 750 करोड़ की राशि मिलने पर महानगरपालिका प्रशासन ने भी 250 करोड़ रुपए का अपना हिस्सा डाला था। इसी निधि से स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ डॉ. निपुन विनायक ने बारिकी से नियोजन कर शहर में सिटी बस सेवा एसटी महामंडल की सहायता से 23 जनवरी 2018 को शुरू की थी। आम जनता के लिए सिटी बस की सेवा देते समय वह घाटे में आने के बावजूद यह सेवा निरंतर जारी रहे, इसलिए डॉ. निपुन विनायक ने 200 करोड़ की राशि एफडी कर उसके ब्याज से घाटा भरकर निकालने का नियोजन किया था। यह एफडी दो-दो करोड़ के अनुसार किए गए थे। उसी में से 2 करोड़ की एफडी तोड़कर 5 इलेक्ट्रिक वाहन अधिकारियों के लिए खरीदे गए।