MNREGA
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भंडारा. राज्य में खंड विकास अधिकारियों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से संबंधित कार्य करने से इंकार कर दिया है. इतना ही नहीं तो उन्होंने 10 अप्रैल से हड़ताल का आह्वान किया है.इस वजह से रोजगार गारंटी योजना का काम पूरे राज्य में प्रभावित हो रहा है.अब इस काम पर मजदूरों की मौजूदगी का मुद्दा अहम होता जा रहा है.

एक तरफ राज्य सरकार ने ग्राम सेवकों को उपस्थिति पत्रक पर मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने के काम से मुक्त कर दिया. उधर, महाराष्ट्र विकास सेवा राजपत्रित संघ ने ‘मनरेगा’ के काम को यह कहते हुए करने से खारिज कर दिया है कि मजदूरों की उपस्थिति दर्त करने के लिए खंड विकास अधिकारी जिम्मेदार नहीं होंगे. नतीजतन प्रदेशभर में रोजगार गारंटी योजना का काम ठप पड़ा है.

ग्राम सेवक बीडी को काम करते हैं

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न कार्य किये जाते हैं. इन कार्यों को 60-40 के अनुपात में मजदूरी की शर्त का पालन करते हुए करना होता है. इस काम पर मजदूरों की दैनिक उपस्थिति दर्ज करने के लिए ग्राम रोजगार सेवकों को जिम्मेदारी दी गई थी. मजदूरों की हाजरी का सत्यापन ग्राम सेवकों की ओर से किया जाता था. हालांकि ग्राम सेवक संगठन की यह काम करने से इनकार कर दिया.इस बारे में सफल पैरवी करने के बाद सरकार ने उन्हें इस काम से मुक्त कर दिया है.

खंड विकास अधिकारियों का विरोध

इस बदलाव से मजदूरों की उपस्थिति की जिम्मेदारी सीधे खंड विकास अधिकारियों पर आ गई. इसलिए महाराष्ट्र विकास सेवा राजपत्रित संघ ने इस फैसले का विरोध किया है. मांग की गई है कि सरकार निर्णय ले कि मजदूरों की उपस्थिति के लिए खंड विकास अधिकारी जिम्मेदार नहीं होंगे.मनरेगा के संबंध में ग्राम पंचायत स्तर की व्यवस्था की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए. मजदूरों का 60-40 अनुपात हो, इसके लिए खंड विकास अधिकारी जिम्मेदार न हो. हालांकि, सरकार ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है. इसलिए आखिरकार महाराष्ट्र विकास सेवा राजपत्रित संघ (मविसे) ने मनरेगा से जुड़े सभी काम बंद कर दिए हैं. इससे मनरेगा के काम पर मजदूरों की संख्या प्रभावित हो रही है.