भंडारा. भंडारा जिले में प्रचुर मात्रा में रेत उपलब्ध होने के बावजूद ठेकेदारों को निर्माण सामग्री के लिए निर्धारित सरकारी दर से 10 से 20 गुना अधिक कीमत देकर रेत, बजरी, गिट्टी खरीदनी पड़ रही है जिसके चलते ठेकेदार संघ ने भंडारा जिला कलेक्टर को बयान देकर रेत, बजरी व बजरी सरकारी दर पर उपलब्ध कराने की मांग की है.
ठेकेदारों को निर्माण और सड़क के काम के लिए रेत और बजरी की जरूरत होती है. हालांकि, रेत के घाट बंद होने और मुरुम उत्खनन की अनुमति नहीं होने के कारण निर्माण कार्य रुक गए हैं. वर्तमान में रेत के दाम 10 से 20 गुना तक बढ़ गए हैं. ऐसे में निर्धारित समय में सरकारी काम करना मुमकिन नहीं. यदि निर्धारित समय में सरकारी कार्य करने के लिए बिना अनुमति रेत और बजरी का परिवहन किया जाता है तो लाखों रुपये का जुर्माना देना होगा. रेतीघाट एवं मुरुम खदान में जितनी आवश्यकता हो उतनी रेत एवं मुरुम की व्यवस्था शासकीय दर से रायल्टी लगाकर वह रायल्टी लोक निर्माण विभाग द्वारा दिए जाने वाले बिल से काट कर उपलब्ध करायी जाये, जिससे सरकार को रायल्टी भी मिलेगी और ठेकेदारों पर जुर्माना नहीं लगेगा ऐसी मांग ठेकेदारों ने जिला कलेक्टर योगेश कुंभेजकर को दिए ज्ञापन में रखी.
इस अवसर पर भंडारा जिला कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय एकपुरे, मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भरत खंडाईत, अभिजीत वंजारी, राजेश कोटवार, ऋषि भूरे, प्रकाश थानथराटे, निर्मल नागपुरे, राम प्रसाद मिश्रा, शांताराम नागपुरे, भरत रंगारी, हरिभाऊ रुखमोड़े, धनराज चौधरी, संतोष गेडाम, मनीष तिरपुड़े, मिलिंद मेश्राम, विलास घाटबंधे, राकेश मालेवार, ललित जांभूलकर, विजय दुबे, मुरलीधर धुर्वे, सुरेश गोन्नाडे, सुनील हेडाऊ, अविनाश भूरे, पराग झंझाड़ मौजूद थे.
कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे
ज्ञापन में संगठन ने यह चेतावनी दी है कि उनकी मांगे पूरी ना हुई तो वे कोर्ट से अपील करेंगे. मुरुम व रेत परिवहन की अनुमति नहीं होने से शासकीय कार्य लम्बित हैं. उनकी प्रमुख मांगे हैं की उन्हें बिना पेनाल्टी के एक्सटेंशन दिया जाए, निर्माण विभाग को मिलने वाले भुगतान में 18 प्रतिशत जीएसटी का प्रावधान किया जाए. बजट में जिस कार्य के लिए 12 प्रतिशत जीएसटी का प्रावधान है, उसमें 6 प्रतिशत की वृद्धि कर नए सिरे से तकनीकी स्वीकृति ली जाए, ठेकेदारों के बकाया का भुगतान तत्काल किया जाए.