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भंडारा. ‘ये शहर है अमन का, यहां पर सब शांति शांति है’ के नाम से मशहूर भंडारा में अपराध का ग्राफ इस साल भी बढ़ता रहा है. मैग्नेशियम व्यवसायी नईम शेख की हत्या से जिला दहल उठा. यह सामने आया कि नईम की हत्या संगठित अपराधी गिरो का कारनामा थ्ज्ञा.वर्ष के दौरान हुई 24 हत्याओं में से अधिकांश हत्या के आरोपी नशे के प्रभाव में पाए गए.

  इसी साल मई में गांधी चौक पर एक युवक को उसके चाचा के सामने दूसरे युवक ने चाकू मार दिया था. इसमें उनकी मौत हो गयी. इसके बाद भीड़ ने आरोपी को पीट-पीटकर मार डाला. अगस्त माह में जिला परिषद चौक पर हुए अमन हत्याकांड के आरोपी भी नशे में होने की बात सामने आयी. साकोली तहसील के पापड़ा खुर्द में एक नाबालिग लड़की की हत्या कर तनस के ढेर में आग लगाई गई. चूंकि नईम शेख की हत्या संगठित अपराधियों ने अंजाम दी थी.इसलिए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. इसका मतलब यह है कि भंडारा जिले में संगठित अपराध होने लगे है.

दुर्घटनाओं से भरा साल

भंडारा शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रतिदिन हजारों वाहन चलते हैं. इसलिए मुजबी से कारधा तक बाइपास का काम शुरू किया गया. इससे ट्रैफिक जाम बढ़ गया है. इसमें साल भर में इस मार्ग पर 43 दुर्घटनाओं में 17 लोगों की मौत हो गयी. इसके अलावा जिले में छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी.

रेत की खुलेआम तस्करी

जिले में एक अन्न भंडार और एक रेत खदान है, लेकिन इन दोनों व्यवसायों का कारोबार हजारों करोड़ रुपये में होता है. इस व्यवसाय में हर कोई शामिल है और उन पर पुलिस, राजस्व, खननकर्ताओं का नियंत्रण नहीं है. पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने के कारण बालू घाट की नीलामी नहीं हुई. इसलिए इसका यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि कहीं कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है. इसके विपरीत बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है और साफ है कि ये सभी निर्माण चोरी की रेत से किये जा रहे हैं.

संगठित अपराध कम नहीं होगा

वैसे तो हर किसी के पास दो-दो आंखें होती हैं, लेकिन पुलिस की नजरें हर तरफ होती हैं. इसलिए पुलिस को हर घटना की जानकारी रहती है. यह ज्ञात होने पर भी कि अवैध कारोबार ही अपराध का मूल है, पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती. सीमावर्ती राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से गांजा की तस्करी की जा रही है और गांजा बेचने वाले ज्ञात होने के बावजूद गांजा के खिलाफ कार्रवाई नाममात्र की होती है. चाहे वह छत्तीसगढ़ राज्य से गांजा तस्करी हो या गौ-तस्करी. ये सारा ट्रैफिक हाईवे से होता है. चूंकि गौ-तस्कर सभी का पक्ष बनाए रखने में सफल रहे हैं. इसलिए देखा जा रहा है कि गौ-प्रेमियों की ओर से दी गई सूचना के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.