भंडारा. राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी अजीत पवार गुट की महासभा के मंच से राज्यसभा सांसद प्रफुल पटेल ने खुलेआम यह कहकर सबको चौंका दिया था की वे भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से राकां की दावेदारी नहीं छोड़ रहे हैं. पटेल ने दावेदारी पेश करने के बाद महायुती में एनसीपी की साथी बीजेपी के दावेदारों में खलबली मची हुई है.
भाजपा उम्मीदवारों में शीत युद्ध
बताया जाता है कि अब तक बीजेपी के दावेदारों, मौजूदा सांसद सुनील मेंढ़े और पूर्व राज्यमंत्री परिणय फुके को लग रहा था की प्रफुल पटेल की राज्यसभा में रवानगी के बाद भंडारा-गोंदिया लोकसभा की सीट के वे ही प्रबल दावेदार हैं. हालांकि यह दोनों दावेदार एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते. यहां तक की दोनों ने हाल ही में प्रकाशित विज्ञापनों में एक दूसरे की फोटो तक नहीं छपने दी.
इन दोनों में एक दावेदार संघ परिवार उनके साथ होने का दावा करता है तो दूसरा दावेदार मौजूदा उपमुख्यमंत्री का तुरुप का इक्का होने की बात करता. हालांकि पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है की पार्टी के विधायकों ने इन दोनों के शीत युद्ध से पार्टी को लोकसभा में नुकसान होने का अंदेशा जताया है. और उन्होंने इनके आपसी द्वन्द्व को देखते हुए देश और प्रदेश नेतृत्व से तीसरा ही नया चेहरा देने की मांग की है. अब ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल प्रफुल पटेल की दावेदारी ने आग में घी का काम किया है.
कार्यकर्ता चाहते हैं प्रफुल पटेल लड़ें
एनसीपी कार्यकर्ताओं ने भी भंडारा जिला कार्यकारिणी की सभा में बहुमत से एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें उन्होंने भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की मांग की. एनसीपी के प्रदेश सचिव धनंजय दलाल का कहना है की शुरू से लेकर अभी तक यह सीट प्रफुल पटेल की थी और सभी कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनके नेता इसी सीट से लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व करें.
बदल सकते हैं समीकरण
प्रफुल पटेल ने खुद कहा है कि सभी सर्वे में लोगों ने उन्हें ही अपनी पहली पसंद माना है. पटेल की दावेदारी भंडारा गोंदिया लोक सभा सीट के लिए सबसे मजबूत है. उनके उम्मीदवार होने से भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट की लड़ाई फिर एक बार प्रतिष्ठा की लड़ाई मानी जाएगी. जिससे मवीआ द्वारा उम्मीदवारी देने के समीकरण भी बदल सकते हैं.