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गोबरवाही. 8 गावों को जलापूर्ति करने वाली गोबरवाही प्रादेशिक जलापूर्ति योजना पिछले 8 दिनों से बंद पडी है. भीषण गर्मी के माहौल में जलापूर्ति बंद है.लोग पानी के लिए तरस रहे है और अधिकारी हर घर नल,हर घर जल की कोरी डिंगे हांकने मे लगे है. इन 8 गावों के लोग 8 दिनों से पानी के लिए तरसे रहे है.इसकी जानकारी भी इन अधिकारियों को नहीं है.

भंडारा जिला परिषद की ओर से चलाई जा रही गोबरवाही प्रादेशिक ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत नाकाडोंगरी से लेकर हेटीटोला तक 8 गांव इस जलपूर्ति योजना के अंतर्गत शामिल है. ग्रामीण अंचल की जिले में यह सबसे बड़ी नल योजना के रूप में जानी जाती है. नागरिकों के अनुसार वर्ष में केवल 6 महीना भी मुश्किल से इस योजना का पानी मिल पाता है और जिला परिषद पूरे वर्ष का टैक्स वसूली करती है.

जल जाते है बिजली पंप

इस योजना की लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण मैंगनीज खान प्रशासन को अपनी स्वतंत्र नल योजना बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. विशेषकर ग्रीष्मकाल में जनता को पानी की अत्यंत आवश्यकता होती है और ग्रीष्मकाल में ही इस नई योजना के विद्युत जल पंप जल जाते हैं या जलाए जाते हैं, यह जांच का विषय है. वाटर पंप जल जाने या वाल खराब होने या अन्य कोई तकनीकी दोष होने पर भंडारा के निजी वर्कशॉप में जि.प. की ओर से मरम्मत कार्य किए जाते हैं.मरम्मत कार्य में अत्याधिक विलंब होता है. वर्ष में दो तीन बार इस योजना की बिजली पूर्ति भी खंडित होती है. इस योजना में अनेक बोगस नल कनेक्शन होने की भी चर्चा है. 

समस्या हल नहीं तो आंदोलन

इस योजना से पिछले 8 दिनों से सभी गांव में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. योजना के अंतर्गत आने वाले प्रथम गांव नाकाडोंगरी में भी पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. राजापुर, सीतासावंगी, चिखला, सुंदरटोला, गोबरवाही,हेटीटोला, गणेशपुर टोली आदि सभी गांव में लोग पानी के लिए तरस रहे है. नाकाडोंगरी ग्राम पंचायत के उपसरपंच व कट्टर शिवसैनिक विजय राऊत ने कहां है कि यदि जलपूर्ति संतोषजनक नहीं की गई तो सभी गांव में निकट भविष्य में तीव्र आंदोलन किया जाएगा.