Migration of workers to get employment

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चंद्रपुर. जिले के मूल, सावली, सिंदेवाही, नागभीड, ब्रम्हपुरी, पोंभूर्णा, चिमूर आदि तहसील की मुख्य फसल धान होने से जिले को धान का कटोरा कहा जाता है.  किंतु अभी धान की फसल की कटाई को समय है. कपास निकलना और सोयाबीन कटाई की शरुआत हुई है. इसलिए जिले मजदूर और नागरिक काम की तलाश में बाहर जा रहे है. इसके लिए मजदूर निजी वाहनों का सहारा ले रहे है. जिससे दुर्घटना की संभावना बढ जाती है. यदि ऐसे में कोई दुर्घटना होती है किसी प्रकार की जनहानि के लिए जिम्मेदार कौन होगा?

जिले में बडे पैमाने पर धान की पैदावार की जाती है. धान की फसल को अभी कटाई का समय है. क्योंकि तेज धूप के बाद ही धान पककर काटने को तैयार होता है. अब मजदुरों के पास काम न होने की वजह से बाहरी जिले में कपास और सोयाबीन की पैदावार की जाती है इसलिए मजदूर रोजगार की तलाश में पडोसी जिले और राज्य की ओर पलायन कर रहे है. इसके लिए निजी वाहनों का सहारा ले रहे है. अनेक वाहनों में क्षमता से अधिक मजदूर होने की वजह से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. ऐसे में कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. 

दीपोत्सव मनाने के बाद पलायन शुरु

जो लोग बाहर थे वह अपने परिवार के साथ दीपों का पर्व बनाने के लिए आए थे और जो लोग बाहरी राज्य और जिलों में मजदुरी के लिए जाने वाले थे अब दीपावली के पर्व को देखते हुए  पलायन कर रहे है. क्योंकि जिले की 15 में से 8 तहसील उद्योग रहित है. इन तहसील का मुख्य व्यवसाय कृषि है और अनेक स्थानों पर कृषि में भी सीमित मजदुरों की आवश्यकता होती है. इसलिए यह लोग अब रोजगार की तलाश में पडोसी तेलंगाना राज्य की ओर पलायन कर रहे है.

इसका प्रमुख कारण है जिले की अनेक तहसीलों का उद्योगरहित होना. चुनाव के समय पर बडे बडे दावे और आश्वासन देने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव में विजयी होने के बाद पांच वर्षो से क्षेत्र की ओर मुडकर नहीं देखते है. इसका असर है कि जिले की आधे से अधिक तहसीलों में कोई उद्योग नहीं है. इसका खामियाजा कोरोना काल में मजदुरों ने अधिक झेला था. जब बाहर गए मजदूर लाकडाउन की वजह से अपने परिजनों के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो सके थे.